भारत पश्चिम की चीन-विरोधी नीति का मोहरा - रूस
रूस के विदेश मंत्री सर्गेइ लवरोफ़ ने क्वाड गुट पर सख़्त टिप्पणी करते हुए भारत को चीन के ख़िलाफ़ पश्चिमी देशों की 'लगातार, आक्रामक और छलपूर्ण' नीति में एक मोहरा बताया है.
अख़बार इंडियन एक्सप्रेस ने रूसी विदेश मंत्री के बयान को प्रमुखता से छापा है. उन्होंने मंगलवार को रूसी इंटरेशनल अफ़ेयर्स काउंसिल की बैठक में ये टिप्पणियाँ कीं जिसका ब्यौरा बुधवार को जारी किया गया.
सर्गेइ लवरोफ़ ने कहा, "पश्चिम एकध्रुवीय विश्व बहाल करना चाहता है. मगर रूस और चीन के उसका मातहत होने की संभावना कम है. लेकिन, भारत अभी इंडो-पैसिफ़िक क्षेत्र में तथाकथित क्वाड जैसी पश्चिमी देशों की चीन-विरोधी नीति का एक मोहरा बना हुआ है."
रूसी मंत्री ने वहाँ ये भी कहा कि पश्चिमी मुल्क़ भारत के साथ रूस के क़रीबी संबंध को भी कमज़ोर करना चाहते हैं.
अख़बार लिखता है कि रूसी विदेश मंत्री इससे पहले भी क्वाड देशों - अमरीका, जापान, ऑस्ट्रेलिया और भारत - की आलोचना कर चुके हैं.
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उसके अनुसार भारतीय विदेश मंत्रालय ने रूसी विदेश मंत्री के बयानों पर कोई प्रतिक्रिया नहीं दी है लेकिन भारत मानता है कि रूस ये चिंता चीन से अपने क़रीबी ताल्लुक़ात की वजह से जता रहा है.
चीन ने एलएसी पर तैनाती के 5 अलग-अलग कारण बताए - जयशंकर
भारत के विदेश मंत्री एस जयशंकर ने कहा है कि चीन ने भारत को वास्तविक नियंत्रण रेखा यानी एलएसी पर भारी तैनाती के पांच "अलग-अलग स्पष्टीकरण" दिए हैं.
टाइम्स ऑफ इंडिया के मुताबिक़, विदेश मंत्री ने कहा कि चीन ने द्विपक्षीय समझौते का उल्लंघन किया, इसलिए भारत और चीन के रिश्ते "सबसे मुश्किल दौर" से गुज़र रहे हैं.
साथ ही उन्होंने कहा कि जून में गलवान में हुई उन झड़पों ने देश की भावना को पूरी तरह बदल दिया जिसमें 20 भारतीय सैनिकों की जान गई थी.
ऑस्ट्रेलियन थिंक टैंक लोवी संस्थान की ओर से आयोजित एक ऑनलाइन कार्यक्रम में जयशंकर ने कहा, "हम आज शायद चीन के साथ सबसे मुश्किल दौर से गुज़र रहे हैं. शायद पिछले 30-40 सालों के सबसे ज़्यादा."
उन्होंने कहा कि "बहुत बड़ी समस्या" है कि अब रिश्तों को पटरी पर कैसे लाया जा सकेगा.
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