केरल: कोरोना संक्रमण को रोकने के लिए पहले तारीफ़ मिली, पर अब क्यों बढ़ रहे हैं मामले

 


  • इमरान क़ुरैशी
  • बीबीसी हिंदी के लिए
किशोरी

कोरोना महामारी पर नियंत्रण को लेकर जश्न मना चुके केरल में अब दूसरे राज्यों की तरह ही संक्रमण के मामले लगातार बढ़ रहे हैं. राज्य सरकार इस पर अंकुश नहीं लगा पा रही है.

पिछले साल केरल ने जिस तरह से कोरोना संक्रमण पर रोकथाम की थी, उससे राज्य को अंतरराष्ट्रीय स्तर पर सराहना मिली थी, लेकिन अब हालात बिगड़ चुके हैं.

वैसे तो हर दिन सामने आने वाले कोरोना पॉज़िटिव मामलों की संख्या में बहुत तेज़ी से बढ़ोत्तरी नहीं हो रही है, लेकिन मामलों में कमी आने की उम्मीद विश्लेषकों को नहीं है.

पब्लिक हेल्थ फ़ाउंडेशन के लाइफ़सोर्स इपेडिमियोलॉजी के प्रमुख और प्रोफ़ेसर डॉ. गिरधर बाबू ने बीबीसी हिंदी से कहा, "यह ट्रेंड किस ओर जाएगा, इसका आकलन करने के लिए एक या दो सप्ताह तक इंतज़ार करना होगा. अभी स्थिति के बारे में ठीक-ठीक पता नहीं चल पा रहा है."

केरल के स्वास्थ्य विभाग के एक वरिष्ठ अधिकारी ने पहचान नहीं ज़ाहिर करने की शर्त पर डॉ. बाबू की राय से सहमति जताते हुए कहा, "राज्य में कोरोना के मामले बढ़े हैं और यह स्थिति अच्छी नहीं है. पिछले तीन सप्ताह से कोरोना संक्रमण के मामले बढ़े हैं. इस सप्ताह भी यह और बढ़े है."

कितने मामले लगातार बढ़े

दिसंबर के बाद से राज्य में औसतन हर दिन कोरोना संक्रमण के पांच हज़ार से ज़्यादा मामले सामने आ रहे हैं, हालांकि कुछ दिनों में यह आंकड़ा छह हज़ार को भी पार कर गया है.

महिला

राज्य में कोरोना संक्रमण के मामले पिछले अगस्त से लगातार बढ़ रहे हैं. नौ से 24 अगस्त के बीच, राज्य में एक्टिव कोरोना पॉज़िटिव मामलों की संख्या 12,347 से 20,323 हो गई थी.

25 अगस्त के बाद से राज्य में कोरोना संक्रमण लगातार बढ़ा है. 25 अगस्त को राज्य में कोरोना संक्रमण से 10 लोगों की मौत हुई थी, 2,375 पॉज़िटिव मामले सामने आए थे जबकि राज्य में कुल एक्टिव मामलों की संख्या 21,242 हो गई थी. अगले दिन कोरोना संक्रमण से राज्य में 13 लोगों की मौत हुई, जबकि 2,476 पॉज़िटिव मामले सामने आए जबकि राज्य में कुल एक्टिव मामलों की संख्या 22,344 हो गई.

त्योहारों और चुनाव के कारण मामले बढ़े?

विशेषज्ञों के मुताबिक़ राज्य में कोरोना संक्रमण के मामले लगातार बढ़ रहे हैं. अगस्त महीने में ही राज्य का सबसे प्रमुख त्योहार ओणम मनाया जाता है, इसके बाद उत्सवों का सिलसिला नए साल तक जारी रहता है.

राज्य में कोविड एडवाइज़री कमेटी के चेयरमैन डॉ. इक़बाल बाबूकुंजू ने बीबीसी हिंदी को बताया, "त्योहारों में बड़ी संख्या में लोग एकजुट होते हैं. ओणम के अलावा मुस्लिम और ईसाई समुदाय के त्योहार, नए साल का जश्न और स्थानीय निकायों के चुनाव, इन सबमें लोग जमा होते हैं और इससे राज्य में कोरोना संक्रमण के मामले बढ़े हैं."

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डॉ. इक़बाल ने यह भी कहा, "कोविड सुरक्षा प्रोटोकॉल अपनाते हुए लोग भी थक गए हैं. लंबे समय के बाद ऐसा होने की आशंका रहती है. लेकिन एक बात पर ध्यान देना ज़रूरी है- कोरोना के मामले भले बढ़ रहे हों लेकिन राज्य में मृत्यु दर कम ही है. अब तक कभी भी ऐसी स्थिति नहीं आयी, जब अस्पतालों में कुल क्षमता के 60 प्रतिशत से ज़्यादा संक्रमितों को भर्ती कराना पड़ा हो."

डॉ. इक़बाल के आकलन की पुष्टि आंकड़े भी करते हैं. अगस्त से सितंबर महीने के बीच केरल में प्रतिदिन कोरोना से 12 से 20 लोगों की मौत हुई, इसके बाद दिसंबर में यह अधिकतम 26-27 लोगों की मौत तक पहुंचा.

13 सितंबर को राज्य में एक्टिव मामलों की संख्या तीस हज़ार के पार पहुंच गई और उसके बाद से इसमें कोई कमी देखने को नहीं मिली है. एक सप्ताह बाद राज्य में कोरोना संक्रमण के एक्टिव मामले 40 हज़ार से ज़्यादा हो गए.

25 सितंबर को केरल में एक्टिव मामलों की संख्या 48,892 हो गई. अगले ही दिन राज्य में कोरोना संक्रमण का सामना कर रहे एक्टिव मरीज़ों की संख्या 50 हज़ार के पार पहुंच गई. 29 सितंबर को राज्य में कोरोना के 61,791 एक्टिव मामले थे. सात अक्टूबर को ऐसे मामलों की संख्या 92,161 तक पहुंच गई.

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कोरोना अपने पीक पर है?

नवंबर में इसमें गिरावट देखने को मिली जब यह 60 हज़ार के आसपास पहुंची.

इंडियन मेडिकल एसोसिएशन के केरल चैप्टर के वाइस प्रेसिडेंट डॉ. सुल्फी नूहु ने बीबीसी हिंदी को बताया, "राज्य में कोरोना संक्रमण के बढ़ने की कई वजहें हैं. यहां आबादी का घनत्व बहुत ज़्यादा है. गांवों में, दुकानों पर भीड़ लग जाती है. इसके अलावा व्यापारिक और शैक्षणिक संस्थान भी खुल गए हैं."

डॉ. सुल्फी को आशंका है कि राज्य में कोरोना संक्रमण के मामलों में बढ़ोत्तरी हो सकती है. उन्होंने बताया, "यहां किसी भी जगह से ज़्यादा लोग मास्क नहीं पहनते हैं. इसके अलावा अगले दो-तीन महीनों में विधानसभा के चुनाव भी होने हैं."

डॉ. सुल्फी के मुताबिक़, कोरोना संक्रमण के मामलों पर नियंत्रण होने में लंबा वक्त लग सकता है.

उन्होंने कहा, "ये पीक की स्थिति है, यह अभी कम नहीं होगी. इसमें लंबा समय लगेगा."

हालांकि डॉ. सुल्फी की राय से डॉ. इक़बाल सहमत नहीं हैं. उनका मानना है, "कोरोना मामलों के बढ़ने का ग्राफ़ फ्लैट हो चुका है, यह सबसे महत्वपूर्ण बात है. हमारी स्वास्थ्य सुविधाओं की स्थिति ठीक है."

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तेज़ी से मामले बढ़ना सामान्य है?

केरल के स्वास्थ्य विभाग के सलाहकार और पूर्व एडिशनल चीफ़ सेक्रेटरी (स्वास्थ्य) राजीव सदानंदन ने बीबीसी हिंदी से कहा, "ये बात सही है कि शुरुआती दिनों में राज्य सरकार ने कोरोना मामलों पर नियंत्रण रखा था. आम लोग भी सुरक्षा को लेकर एहतियात बरत रहे थे, लेकिन अब लोगों के एहतियातों में कमी आयी है. राज्य में कोरोना के मामलों में कब कमी होगी, ये बता पाना अभी मुश्किल है. हमारे पास ऐसे आंकड़े नहीं हैं, जिससे इसका अनुमान लगाया जा सके."

वैसे डॉ. बाबू के मुताबिक़ केरल में कोराना संक्रमण के मामले और मौतों की संख्या किसी असामान्य स्थिति को नहीं दर्शाती है.

डॉ. बाबू ने बताया, "जो दूसरे शहरों में हो रहा है वही केरल में भी हो रहा है. मुंबई में यह झुग्गी झोपड़ियों से दूसरे इलाक़ों तक फैला. बेंगलुरु में यह एक दो क्षेत्रों से शुरू होकर धीरे-धीरे दर्जन भर क्षेत्रों तक पहुंच गया. केरल में महामारी का प्रकोप देरी से फैला. जब यह फैलने लगता है तो चाहे वह केरल हो या न्यूज़ीलैंड, एक सीमा तक फैलता ही है. प्रकोप का देर से फैलना और जांच की बेहतर स्थिति के चलते यहां कोरोना संक्रमण के मामले सामने आ रहे हैं."

डॉ. बाबू ने कहा, "आमतौर पर मौत के आंकड़े पॉज़िटिव मामलों की संख्या पर ही निर्भर होते हैं. जब मामले बढ़ते हैं तो मौतों की संख्या में भी बढ़ोत्तरी होती है. शुरुआत में पॉज़िटिव मामलों में कमी के चलते मौतों की संख्या भी कम हुई थी. हमें अगले सात दिनों के ट्रेंड पर नज़र रखनी होगी."

डॉ. इक़बाल का आकलन है कि फरवरी से मामलों में कमी देखने को मिलेगी, इस आकलन से डॉ. बाबू कितने सहमत हैं, पूछे जाने पर उन्होंने बताया, "कमी तो होनी चाहिए. लेकिन यह पूरी तरह से आबादी के घनत्व पर निर्भर करता है. मैं स्थिति को समझने के लिए एक सप्ताह का इंतज़ार करना चाहूंगा."

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