पाकिस्तान और तुर्की की दोस्ती से भारत की मुश्किलें बढ़ीं- प्रेस रिव्यू

 


पाकिस्तान

अब तक पाकिस्तान और चीन की दोस्ती भारत के लिए चुनौती थी अब पाकिस्तान और तुर्की की जुगलबंदी भी भारत को परेशान कर रही है.

इकनॉमिक टाइम्स में छपी एक रिपोर्ट के अनुसार अफ़ग़ानिस्तान में तुर्की और पाकिस्तान के साथ मिलकर काम करने के फ़ैसले से उन अटकलों को बल मिला है कि भूमध्यसागर और दक्षिण एशिया में भारत की मुश्किलें बढ़ सकती हैं. तुर्की का कहना है कि उसका लक्ष्य युद्धग्रस्त मुल्क अफ़ग़ानिस्तान में आर्थिक प्रगति को लेकर काम करना है. पाकिस्तान और तुर्की दोनों मिलकर ईरान से होते हुए रेल का विस्तार कर रहे हैं.

सऊदी गज़ट में तीन दिन पहले एक लेख छपा था, जिसमें कहा गया है कि तुर्की के राष्ट्रपति रेचेप तैय्यप अर्दोआन दक्षिण एशिया में पाकिस्तान से रणनीतिक गठबंधन को और मज़बूत करना चाहते हैं.

कहा जा रहा है कि अर्दोआन का यह रुख़ ग्रीक विश्लेषकों की भारत-ग्रीस गठबंधन को मज़ूबत करने की अपील के बाद सामने आया है. ग्रीक विश्लेषकों ने कहा है कि तुर्की के राष्ट्रपति अर्दोआन को मात देने के लिए दोनों देशों में रणनीतिक साझेदारी बढ़ाने की ज़रूरत है. ग्रीस के विश्लेषकों ने कहा है कि तुर्की परमाणु मिसाइल तकनीक पाकिस्तान भेज रहा है और इसका सामना करने के लिए भारत-ग्रीस को हथियारों के संयुक्त उत्पादन पर विचार करना चाहिए.

इकनॉमिक टाइम्स ने अपनी रिपोर्ट में यरुशलम पोस्ट के उस कोट का भी हवाला दिया है जिसका ज़िक्र सऊदी गज़ट के लेख में है. सऊदी गज़ट के लेख के अनुसार, ''शीत युद्ध के बाद अमेरिका के सुरक्षा कवच पर केवल भरोसा नहीं किया जा सकता. पिछले दशक में इस क्षेत्र की प्रमुख घटनाओ में सीरियाई गृह युद्ध और पूर्वी भूमध्यसागर में गैस संसाधनों को लेकर प्रतिस्पर्धा में अमेरिका की मौजूदगी नहीं रही क्योंकि वो अपनी प्राथमिकताओं के साथ रहा. ऐसे में नई साझेदारियाँ और सामरिक संबंध विकसित हुए.''

पाकिस्तान

इकनॉमिक टाइम्स की रिपोर्ट के अनुसार, ''तुर्की चाहता है कि वो इस्लामी जगत का नेता बने. तुर्की की यह चाहत सऊदी अरब को चुनौती देने वाली है. ऐसे में सऊदी अरब ने पिछले कुछ वर्षों में भारत के साथ मज़बूत आर्थिक और रक्षा सहयोग विकसित किए. इससे पाकिस्तान काफ़ी असहज हुआ. अर्दोआन ने पाकिस्तान को आर्थिक प्रगति में मदद करने की भरोसा दिलाया है. अर्दोआन ने कहा है कि वो पाकिस्तान को परिवहन. ऊर्जा, पर्यटन, हेल्थकेयर और शिक्षा के मोर्चे पर मदद करेंगे. पाकिस्तान और तुर्की के बीच रक्षा सहयोग सबसे अहम है. दोनों देशों के सैनिक युद्धाभ्यास भी कर रहे हैं.''

इकनॉमिक टाइम्स ने अपनी रिपोर्ट में लिखा है, ''पाकिस्तान तुर्की में निर्मित MILGEM लड़ाकू जलपोत वहाँ के सरकारी डिफेंस कॉन्ट्रैक्टर एएसएफएटी से ख़रीदने की प्रक्रिया में है. इसके अलावा पाकिस्तान ने 30 T-129 ATAK हेलिकॉप्टर का भी ऑर्डर दिया है.

तुर्की से पाकिस्तान की यह ख़रीदारी तीन अरब डॉलर तक पहुँच गई है. पाकिस्तान ने पूर्वी भूमध्यसागर में तुर्की के गैस खोज अभियान का भी समर्थन किया था. तुर्की भी कश्मीर मामले में पाकिस्तान का खुलकर समर्थन करता है. पिछले साल फ़रवरी में अर्दोआन ने कहा था कि कश्मीर का मुद्दा जितना अहम पाकिस्तान के लिए है उतना ही तुर्की के लिए अहम है. पाकिस्तान ने आर्मीनिया-अज़रबैजान संघर्ष में भी तुर्की की लाइन पर ख़ुद को रखा.''

गौतम नवलखा

गौतम नवलखा की ज़मानत याचिका पर सुप्रीम कोर्ट ने NIA से पूछा

सुप्रीम कोर्ट ने बुधवार को राष्ट्रीय जाँच एजेंसी (एनआईए) से भीमा कोरोगाँव मामले में मानवाधिकार एक्टिविस्ट गौतम नवलखा की ज़मानत याचिका पर नोटिस जारी किया है. नवलखा की ज़मानत याचिका पर जस्टिस यूयू ललित की अध्यक्षता वाली बेंच अगली सुनवाई 15 मार्च को करेगी. इस ख़बर को अंग्रेज़ी अख़बार द हिन्दू ने प्रमुखता से जगह दी है.

गौतम नवलखा के वकील कांग्रेस के सीनियर नेता कपिल सिब्बल हैं और उन्होंने बॉम्बे हाई कोर्ट में नवलखा की ज़मानत याचिका ख़ारिज किए जाने को सुप्रीम कोर्ट में चुनौती दी है. बॉम्बे हाई कोर्ट ने आठ फ़रवरी को गौतम नवलखा की ज़मानत याचिका को ख़ारिज कर दिया था. नवलखा की ज़मानत याचिका पर गुरुवार को सुनवाई होनी थी. हालाँकि कपिल सिब्बल ने कोर्ट से नवलखा की याचिका पर बुधवार को सुनवाई के लिए आग्रह किया तो संक्षिप्त सुनवाई में अदालत ने एनआईए को नोटिस जारी इस मामले में पूछा है.

कोवैक्सीन

कोरोना पर स्वदेशी कोवैक्सीन 81 फ़ीसदी कारगर

भारत बायोटेक ने कहा है कि पूरी तरह से भारत में विकसित कोवैक्सीन कोरोना संक्रमण रोकने में 81 फ़ीसदी करगर पाई गई है. भारत बायोटेक का कहना है कि तीसरे चरण का क्लीनिकल ट्रायल 25,800 लोगों पर किया गया और उसी के डेटा से यह नतीजा सामने आया है.

अंग्रेज़ी अख़बार हिन्दुस्तान टाइम्स ने इसे पहले पन्ने की लीड ख़बर बनाई है. इंडियन कांउसिल ऑफ मेडिकल रिसर्च के महानिदेशक डॉ बलराम भार्गव ने इसे बड़ी सफलता बताया है. इस वैक्सीन के आपातकालीन इस्तेमाल की मंज़ूरी 16 जनवरी को दी गई थी लेकिन तब इसकी एफिकेसी दर भी नहीं बताई गई थी. भारत बायोटेक के चेयरमैन कृष्णा इला ने कहा है कि कोवैक्सीन नए कोरोना के नए वैरिएंट में भी प्रभावी है.

BBC ISWOTY

(बीबीसी हिन्दी के एंड्रॉएड ऐप के लिए आप यहां क्लिक कर सकते हैं. आप हमें फ़ेसबुकट्विटरइंस्टाग्राम और यूट्यूबपर फ़ॉलो भी कर सकते हैं.)

Comments

Popular posts from this blog

#Modi G ! कब खुलेंगी आपकी आंखें ? CAA: एक हज़ार लोगों की थी अनुमति, आए एक लाख-अंतरराष्ट्रीय मीडिया

"बक्श देता है 'खुदा' उनको, ... ! जिनकी 'किस्मत' ख़राब होती है ... !! वो हरगिज नहीं 'बक्शे' जाते है, ... ! जिनकी 'नियत' खराब होती है... !!"