कोरोना का विस्फोट धर्मनगरी जाने वाले हरिद्वार में 14 अप्रैल को महाकुंभ 2021 का तीसरा शाही स्नान ख़त्म होने के बाद कोरोना का विस्फोट हो गया है.
कुंभ हरिद्वार: कोरोना के कारण मेले पर उठते सवालों के बीच कैसे हैं हालात?
- राजेश डोबरियाल
- उत्तराखंड से, बीबीसी हिंदी के लिए
धर्मनगरी कहे जाने वाले हरिद्वार में 14 अप्रैल को महाकुंभ 2021 का तीसरा शाही स्नान ख़त्म होने के बाद कोरोना का विस्फोट हो गया है.
15 अप्रैल को श्री पंच निर्वाणी अखाड़े के महामंडलेश्वर कपिल देव दास की कोरोना से मौत की ख़बर आई. अखाड़ा परिषद के अध्यक्ष नरेंद्र गिरी महाराज पहले ही कोरोना से संक्रमित हो गए थे और शाही स्नान में शामिल भी नहीं हो पाए थे, वह अस्पताल में भर्ती हैं.
इसके अलावा अब तक 49 सन्त कोरोना से संक्रमित पाए गए हैं. इससे पहले बुधवार को संपन्न तीसरे शाही स्नान में 13.50 लाख से ज़्यादा लोगों के कुंभ में स्नान करने का दावा किया गया.
12 अप्रैल के शाही स्नान में यह संख्या क़रीब 35 लाख बताई गई थी. मेला प्रशासन कुंभ मेला क्षेत्र में रोज़ 50 हज़ार से ज़्यादा कोविड टेस्ट करने का दावा कर रहा है लेकिन स्वास्थ्य विभाग की ओर से हाईकोर्ट में पेश प्रार्थना पत्र में कहा गया है कि राज्य की क्षमता 25 हज़ार टेस्ट प्रतिदिन की ही है.
अखाड़ों में सैंपलिंग
गुरुवार को महामंडलेश्वर की मौत के बाद स्वास्थ्य विभाग की नींद टूटी और अखाड़ों की छावनियों में रैंडम कोविड सैंपलिंग के लिए टीमें गठित की गईं. जूना अखाड़े में 200 संतों के स्वैब सैंपल लिए गए हैं.
अखाड़ा परिषद के महामंत्री हरि गिरि महाराज सहित सभी प्रमुख संतों के जूना अखाड़े में सैंपल लिए गए. सैंपल देने वाले संतों से रिपोर्ट आने तक आइसोलेट रहने के लिए कहा गया है.
बता दें कि पहले स्वास्थ्य विभाग ने अखाड़ों की छावनी में जाकर रैंडम चेकिंग नहीं की थी और संभवतः इसी का नतीजा है कि अब अखाड़ों में तेज़ी से कोरोना फैल गया है.
उधर सबसे बड़े अखाड़े पंचायती अखाड़ा श्री निरंजनी ने कुंभ मेले के समापन की घोषणा कर दी. अखाड़े के सचिव रविंद्र पुरी महाराज ने कहा कि मुख्य शाही स्नान संपन्न हो गया है और कोरोना के बढ़ते मामलों को देखते हुए निरंजनी अखाड़े ने 17 अप्रैल को कुंभ समाप्त करने का निर्णय लिया है.
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उन्होंने कहा कि यह अखाड़ा परिषद का फ़ैसला नहीं है, यह हमारे अखाड़े का निजी फ़ैसला है. हालांकि उन्होंने कहा कि बाक़ी अखाड़ों को भी ऐसे समय में कोविड से बचाव को देखते हुए सकारात्मक निर्णय लेना चाहिए.
कितने टेस्ट हुए
कुंभ मेला अधिकारी दीपक रावत ने बुधवार को प्रेस कांफ्रेंस में दावा किया कि कोरोना के मद्देनज़र ज़िला स्वास्थ्य विभाग और मेले में जुड़ी अन्य एजेंसियों के माध्यम से रोज़ लगभग 50 हज़ार टेस्ट हो रहे हैं.
लेकिन राज्य के स्वास्थ्य सचिव अमित नेगी की ओर से दायर प्रार्थना पत्र में हाईकोर्ट से 31 मार्च के आदेश में 50 हज़ार टेस्ट प्रतिदिन करने के आदेश को बदलने की माँग की गई है.
इस प्रार्थना पत्र में कहा गया है कि राज्य सरकार मुख्य स्नानों पर 25 हज़ार टेस्ट प्रतिदिन ही कर सकती है इसलिए हाईकोर्ट अपने 50 हज़ार टेस्ट प्रतिदिन करने के आदेश में कुछ राहत दे.
इस मामले में हाईकोर्ट में याचिका दायर करने वाले अधिवक्ता दुष्यंत मैनाली कहते हैं कि राज्य सरकार के स्वास्थ्य विभाग से लेकर आला अधिकारी तक अंधेरे में थे. जिस दिन हाईकोर्ट ने आदेश पारित किया, उसी दिन अगर वह यह 50 हज़ार टेस्ट न करवा पाने की क्षमता के बारे में बता देते तो अलग-अलग बयानों और दावों से सरकार की किरकिरी न होती.
इधर मेलाधिकारी दीपक रावत ने बीबीसी हिंदी से बातचीत में दावा किया कि शाही स्नान के दिनों तक 50,000 से ज़्यादा कोविड-19 टेस्ट किए गए हैं.
वह कहते हैं कि स्वास्थ्य विभाग ने आरटीपीसीआर टेस्ट करवाने को ही असंभव बताया होगा क्योंकि रैपिड-एंटीजन टेस्ट के ज़रिए बीते तीन-चार दिनों (11 से 14 अप्रैल) तक 50 हज़ार से ज़्यादा टेस्ट करवाए गए हैं.
सफलता का दावा
बुधवार को शाही स्नान संपन्न होने के बाद जारी एक बयान में मुख्यमंत्री तीरथ सिंह रावत ने कहा कि कोविड-19 की चुनौतियों का सामना करते हुए मेले से जुड़े अधिकारियों एवं कर्मचारियों ने जिस मनोयोग से कुम्भ की व्यवस्थाओं को संभाला तथा देश-विदेश के श्रद्धालुओं को सुविधाएं उपलब्ध कराईं, वह सरहानीय है.
मेलाधिकारी दीपक रावत कहते हैं कि कुंभ का आयोजन यूं तो हमेशा ही चुनौतीपूर्ण होता है लेकिन पिछले मार्च में ही लॉकडाउन लग जाने की वजह से इस बार यह और मुश्किल हो गया था. कुंभ आयोजन के लिए होने वाले बहुत सारे स्थाई-अस्थाई प्रकृति के कामों के लिए स्किल्ड-अनस्किल्ड लेबर तक नहीं मिल पा रही थी. किसी तरह दिन-रात लगकर काम पूरे करवाए गए और राहत है कि अभी तक सब कुछ ठीक से संपन्न हो गया.
'स्नान में कोविड-प्रोटोकॉल का पालन संभव नहीं'
कुंभ मेला आईजी संजय गुंज्याल ने दावा किया है कि मेला क्षेत्र की सीमाओं पर श्रद्धालुओं के कोविड सर्टिफ़िकेट की सघन जाँच हो रही है. कोविड-19 टेस्ट का नेगेटिव सर्टिफ़िकेट न होने पर एक अप्रैल से अब तक 56,000 श्रद्धालुओं को सीमा से ही वापस लौटाया जा चुका है.
बीबीसी हिंदी से बातचीत में आईजी कुंभ ने स्वीकारा कि स्नान घाटों और कुंभ क्षेत्र में सभी की कोविड-19 टेस्ट रिपोर्ट की जाँच करना संभव नहीं है.
मेलाधिकारी दीपक रावत ने कहा कि स्नान के दिन कोविड-प्रोटोकॉल का पालन करवाना मुसीबत को न्यौता देना था. वह कहते हैं हम नहीं चाहते थे कि हमारी वजह से किसी तरह की भगदड़ की स्थिति बने इसलिए जिन दिनों स्नान नहीं थे, उन दिनों घाटों पर भी चेकिंग की गई और मास्क न पहनने वालों का चालान किया गया.
आईजी कुंभ ने कहा कि सोमवती अमावस्या और बैसाखी पर शाही स्नान समेत अब तक कुंभ के स्नान बिना किसी अप्रिय घटना के संपन्न हो जाना ही पुलिस-प्रशासन की बड़ी सफलता है.
पिछले तीन-चार दशक में हरिद्वार महाकुंभ-2021 संभवतः ऐसा पहला कुंभ है जिसमें अखाड़ों के बीच विवाद, भगदड़ जैसी कोई अप्रिय घटना नहीं हुई है. इस अवधि में ऐसा भी संभवतः पहली बार हुआ है कि सभी अखाड़ों ने स्नान में हिस्सा लिया है.
आईजी संजय गुंज्याल ने बताया कि तीन शाही स्नानों समेत आठ बड़े स्नानों का सुरक्षा प्रबंध कर रही पुलिस की बड़ी सफलता यह भी है कि 18,000 की संख्या वाले पुलिस बल में अब तक कुल 20 पुलिसकर्मी ही कोरोना पॉज़िटिव आए हैं. इसकी वजह यह भी रही कि पुलिस फ़ोर्स ने सख़्ती से कोविड-प्रोटोकॉल का पालन किया है.
गुंज्याल बताते हैं कि हर बड़े स्नान से पहले और स्नान के बाद सभी पुलिसकर्मियों के रैपिड-कोविड टेस्ट करवाए जाते हैं. इससे पुलिस फ़ोर्स में संक्रमण को क़ाबू रखने में बड़ी सफलता मिली है.
कैसे होती है लोगों की गिनती
आईजी कुंभ मेला संजय गुंज्याल के अनुसार अलग-अलग एंट्री-पॉइंट्स पर कुल 100 सीसीटीवी कैमरे लगे हुए हैं. इनसे हेड-काउंटिंग की जाती है, इसमें एआई (आर्टिफ़िशियल इंटेलीजेंस) वाले सॉफ़्टवेयर्स की भी मदद ली जाती है.
इसके अलावा हर की पैड़ी और मालवीय द्वीप पूरे भर जाते हैं तो माना जाता है कि 75000 लोग इनमें मौजूद हैं. यह माना जाता है कि हर व्यक्ति क़रीब 25 मिनट स्नान करने में लेता है और हर 25 मिनट बाद यह काउंटिंग दोबारा की जाती है.
इसके अलावा हर एक-दो घंटे में पार्किंग में खड़ी गाड़ियों के आधार पर भी कुंभ में आने वाले श्रद्धालुओं की संख्या का अनुमान लगाया जाता है. इसे सैटेलाइट डाटा से भी मैच किया जाता है.
गुंज्याल कहते हैं इस तरह से संकलित आंकड़ों में पाँच फ़ीसद कम-ज़्यादा होने की आशंका रहती है.
वास्तव में कितने टेस्ट हुए
देहरादून की ग़ैर सरकारी संस्था सोशल डेवेलपमेंट फ़ॉर कम्यूनिटी फ़ाउंडेशन लगातार कोविड-19 के आंकड़ों का अध्ययन कर रही है. संस्था के संस्थापक अनूप नौटियाल कहते हैं कि मेला प्रबंधन के 50,000 कोविड टेस्ट के दावों के विपरीत एक से 13 अप्रैल तक प्रतिदिन औसत 19,195 टेस्ट हुए हैं. इनमें 13 अप्रैल को सबसे ज़्यादा 31,310 टेस्ट हुए और तीन अप्रैल को सबसे कम 1873 टेस्ट.
हालांकि यह आंकड़ा सिर्फ़ हरिद्वार ज़िले का है. कुंभ क्षेत्र में ऋषिकेश भी आता है, जो तीन ज़िलों देहरादून, टिहरी और पौड़ी में पड़ता है.
ऋषिकेश में स्नान करने वालों की संख्या को तो मेला प्रशासन कुल स्नान करने वालों में गिन रहा है लेकिन इस क्षेत्र के कोविड-19 टेस्ट और संक्रमण की संख्या तीनों ज़िलों के आंकड़ों में गिनी जा रही है कुंभ क्षेत्र में नहीं.
नौटियाल कहते हैं कि वह बार-बार कुंभ प्रशासन से पूरे कुंभ क्षेत्र के आंकड़े देने की माँग कर रहे हैं लेकिन इसे अनसुना ही किया जा रहा है.
स्वास्थ्य सेवाओं की स्थिति
हरिद्वार के स्थानीय पत्रकार रतनमणि डोभाल कहते हैं कि कुंभ के दौरान स्वास्थ्य सेवाओं की हालत ख़राब है. वह कहते हैं कि एक दिन पहले ही एक गर्भवती महिला, जो कोरोना पॉज़िटिव थी, उसे एंबुलेंस से ज़िले के सरकारी अस्पताल में लाया गया लेकिन वहां भर्ती करने की स्थिति नहीं थी इसलिए उसे लौटा दिया गया.
डोभाल कहते हैं कि हालत कितनी ख़राब है इसका अंदाज़ा इससे लगाइए कि महिला को उसके पति के साथ स्कूटी में वापस घर भेज दिया गया, एंबुलेंस तक नहीं दी गई. इससे उस महिला के पति के भी कोरोना पॉज़िटिव होने की आशंका पैदा हो जाती है.
लेकिन हरिद्वार के ज़िला चिकित्सा पदाधिकारी डॉक्टर शंभु झा ऐसी किसी भी घटना से इनकार करते हैं. वह कहते हैं कि उन्हें ऐसी कोई जानकारी नहीं है. वह यह भी कहते हैं कि ज़िले में कुंभ के लिए बनाए गए कोविड-अस्पतालों के साथ ही अन्य ज़िला अस्पताल, डिस्पेंसरी में इलाज की पर्याप्त सुविधाएं मौजूद हैं, किसी भी मरीज़ को इलाज के बिना लौटाया नहीं जा रहा है.
स्थानीय पत्रकार धर्मेंद्र चौधरी कुंभ के दौरान स्वास्थ्य सेवाओं की स्थिति के बारे में पूछने पर कहते हैं कि हरिद्वार के ज़िला अस्पताल तो यूं भी रेफ़रल सेंटर्स के रूप में काम करते हैं. किसी भी मरीज़ की स्थिति ज़रा भी गंभीर होती है तो तुरंत एम्स ऋषिकेश रेफ़र कर दिया जाता है.
कुंभ के दौरान स्थिति यह है कि कुंभ के चिकित्सा अधिकारी के पास कोविड-19 से संबंधित कोई जानकारी नहीं है. वह कह रहे हैं कि यह ज़िला चिकित्सा अधिकारी देख रहे हैं और ज़िला चिकित्सा अधिकारी सिर्फ़ हरिद्वार ज़िले के बारे में बात करते हैं, पूरे कुंभ क्षेत्र के बारे में नहीं.
मेलाधिकारी दीपक रावत कहते हैं कि वह ऋषिकेश क्षेत्र के आंकड़े भी हासिल करने की कोशिश करेंगे और दावा करते हैं कि आंकड़े मिलने के बाद टेस्टिंग की संख्या और बढ़ाई जाएगी.
https://www.bbc.com/hindi/india-56771647
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