कोरोनाः एक मई से 18 साल से ऊपर के लोगों का टीकाकरण अधर में - प्रेस रिव्यू
केंद्र सरकार ने बीते सप्ताह ही देश में कोरोना वैक्सीनेशन के तीसरे चरण का एलान किया था. तीसरे चरण के तहत 18 साल और अधिक उम्र के लोगों को कोरोना का टीका लगना है. जिसके लिए 28 अप्रैल से ऑनलाइन रजिस्ट्रेशन भी शुरू हो गया है. लेकिन केंद्र सरकार की ये घोषणा सभी राज्यों में पूरा होती नहीं दिख रही है.
टीके की कमी को लेकर कई राज्यों ने तीसरे चरण के टीकाकरण को टाल दिया है. टीकों की आपूर्ति में कमी और अनुपलब्धता का हवाला देते हुए महाराष्ट्र, राजस्थान और छत्तीसगढ़ ने टीकाकरण को टाल दिया है.
दैनिक हिंदुस्तान की ख़बर के अनुसार, महाराष्ट्र के स्वास्थ्य मंत्री राजेश टोपे ने कहा है कि राज्य में लॉकडाउन प्रतिबंधों को बढ़ा दिया गया है. इसके अलावा राज्य के पास टीकों की पर्याप्त खुराक़ भी नहीं. ऐसे में एक मई से 18 साल और उससे अधिक उम्र के लोगों का टीकाकरण नहीं हो सकेगा.
महाराष्ट्र में बीते दिन कोरोना संक्रमण के 63 हज़ार से अधिक नए मामले सामने आए थे और क़रीब एक हज़ार लोगों की मौत भी हुई है.
महाराष्ट्र के अलावा राजस्थान सरकार का कहना है कि उन्होंने सीरम इंस्टीट्यूट को 3.75 करोड़ डोज़ का ऑर्डर दिया है लेकिन ये वैक्सीन उन्हें कब तक मिलेंगी यह स्पष्ट नहीं है. साथ ही केंद्र से भी पर्याप्त वैक्सीन नहीं मिल पा रही है. ऐसी स्थिति में राज्य में एक मई से कोरोना का टीकाकरण शुरू नहीं किया जा सकेगा.
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छत्तीसगढ़ को बायोटेक से जुलाई तक वैक्सीन मिलेगी. जबकि सीरम इंस्टीट्यूट की ओर से उन्हें कोई जवाब अब तक नहीं मिल सका है. तेलंगानाऔर तमिलनाडु ने भी एक मई से टीकाकरण शुरू करने में असमर्थता जतायी है. इन राज्यों ने भी वैक्सीन की अनुपल्बधता को वजह बताया है. कर्नाटक में संभव है कि एक सप्ताह देरी से वैक्सीनेशन शुरू हो जाए.
टीके की आपूर्ति के अलावा दो और भी कारण हैं. 18 साल और उससे अधिक उम्र के लोगों को टीका लगवाने के लिए खुद को कोविन प्लेटफॉर्म या आरोग्य सेतु ऐप पर रजिस्टर कराना होगा. यह अनिवार्य है लेकिन 28 अप्रैल को पंजीकरण शुरू हुआ और शाम को कुछ देर के लिए साइट क्रैश हो गई. हालांकि उसे कुछ देर बाद ठीक कर लिया गया लेकिन यह एक बड़ी समस्या है.
इसके अलावा एक बड़ा कारण टीके की अलग-अलग क़ीमत भी है.
अमेरिका के शीर्ष संक्रामक रोग विशेषज्ञ डॉक्टर फाउची ने कोवैक्सीन पर जताया भरोसा
इकोनॉमिक टाइम्स की ख़बर के अनुसार, संक्रामक रोग विशेषज्ञ और अमेरिका में कोरोना टास्क फोर्स का चेहरा रहे डॉ. फाउची ने कहा है कि भारत में बनी कोरोना की वैक्सीन को-वैक्सीन कोरोना के नए वेरिएंट बी.1.617 के ख़िलाफ़ भी असरदार है.
उन्होंने कहा कि इस संबंध में हर दिन अधिक से अधिक डेटा लिया जा रहा है.
हालांकि डॉ. फाउची ने माना कि भारत में इस समय कोरोना ने तबाही मचा रखी है लेकिन उन्होंने साथ ही ये भी कहा कि कोरोना के ख़िलाफ़ वैक्सीनेशन एक महत्वपूर्ण और असरदार हथियार हो सकता है.
उन्होंने कहा, "हालिया डेटा में कोविड के मामलों मे ठीक हुए लोगों और भारत में जिन्होंने कोवैक्सीन की डोज़ ली है उनका विश्लेषण किया गया. और यह पाया गया है कि कोवैक्सीन बी.1.617 वैरिएंट के ख़िलाफ़ असरदार है."
डॉ. फाउची ने कहा, "भारत में हालात मुश्किल हैं लेकिन इसके बावजूद यहां टीकाकरण कोरोना के ख़िलाफ़ एक बहुत ही महत्वपूर्ण प्रतिरक्षक हो सकता है."
भारत जैसा ही कोरोना वेरिएंट 17 देशों में भी मिला
भारत में कोरोना के जिस प्रकार ने तबाही मचा रखी है वो वेरिएंट 17 और देशों में पाया गया है.
जनसत्ता अख़बार की ख़बर के अनुसार, भारत में कोरोना का जो प्रकार है जिसे डबल-म्यूटेंट वायरस भी कहा जा रहा है वो दुनिया के अन्य 17 देशों में भी पाया गया है. विश्व स्वास्थ्य संगठन के हवाले से अख़बार लिखता है कि कोरोना का बी.1.617 वेरिएंट, जिसकी पहचान सबसे पहले भारत में की गई थी वो अब 17 दूसरे देशों में भी मिला है.
इस डबल म्यूटेंट वायरस के बारे में जानकारों का मानना है कि भारत में कोरोना महामारी की तबाही के पीछे एक बड़ा कारण ये भी है कि इसके अलग-अलग वेरिएंट हैं.
भारत और ब्रिटेन के बीच हवाई यात्रा जारी रहने के चलते यह वैरिएंट ब्रिटेन तक भी पहुंचा. इस सप्ताह की शुरुआत में ब्रिटिश स्वास्थ्य मंत्री मैट हेनकॉक ने कहा था कि 103 संक्रमितों में भारतीय वैरिएंट पाया गया है. इसके बाद ही ब्रिटेन ने भारत को उन देशों की सूची में डाल दिया जहां से ब्रिटेन की यात्रा नहीं हो सकती है.
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