कोरोना वैक्सीन: ब्रिटेन में एस्ट्राज़ेनेका वैक्सीन 30 साल के कम उम्र के लोगों को नहीं दी जाएगी
ब्रिटेन में दवाओं की नियामक संस्था एमएचआरए ने कहा है कि 30 साल के कम उम्र के लोगों को एस्ट्राज़ेनेका वैक्सीन नहीं दी जाएगी और उन्हें इसका कोई दूसरा विकल्प दिया जाएगा.
नियामक संस्था का कहना है कि एस्ट्राज़ेनेका वैक्सीन लेने के बाद ब्लड क्लॉटिंग (ख़ून का थक्का जमना) की शिकायत मिलने के बाद ऐसा किया गया है.
नियामक संस्था ने अपनी जाँच में पाया है कि मार्च के आख़िर तक यूके में जिन लोगों को भी एस्ट्राज़ेनेका वैक्सीन दी गई थी उनमें से 79 लोग ब्लड क्लॉटिंग के शिकार हुए थे और उनमें से 19 लोगों की मौत हो गई है.
हालांकि एमएचआरए ने कहा कि इस बात के कोई पुख़्ता सबूत नहीं हैं कि कोरोना की एस्ट्राज़ेनेका वैक्सीन के कारण ही ब्लड क्लॉटिंग हुई है लेकिन ये भी सच है कि ब्लड क्लॉटिंग और वैक्सीन के बीच संबंध और गहरे होते जा रहे हैं.
ब्लड क्लॉटिंग के मामले जिन लोगों में देखे गए हैं, उनमें तकरीबन दो तिहाई महिलाएं हैं. मरने वाले लोगों की उम्र 18 साल से 79 साल के बीच थी.
एमएचआरए की सिफ़ारिश
ब्रिटेन में एस्ट्रेज़ेनेका वैक्सीन की अब तक दो करोड़ ख़ुराक दिए जा चुके हैं.
इससे पहले यूरोपीय संघ में दवाओं का नियमन करने वाली एजेंसी ने कहा था कि ख़ून के थक्के बनने की घटना को एस्ट्रेज़ेनेका वैक्सीन इक्का-दुक्का मामलों में होने वाले साइड इफ़ेक्ट के रूप में देखा जाना चाहिए.
एमएचआरए की डॉक्टर जूनी रैनी ने कहा कि इस वैक्सीन के साइड इफ़ेक्ट बहुत दुर्लभ हैं. और इस बारे में और खोज हो रही है कि क्या इस वैक्सीन से ख़ून के थक्के जमते हैं.
हालांकि उन्होंने कहा कि ज्यादातर लोगों के लिए इस वैक्सीन के नुक़सान से ज्यादा फ़ायदे हैं. लेकिन उनकी राय में युवाओं के लिए यह ज्यादा फ़ायदेमंद है.
नियामक संस्था ने कहा कि ऑक्सफ़ोर्ड-एस्ट्राज़ेनेका वैक्सीन के साइड इफ़ेक्ट बहुत ही दुर्लभ हैं और वैक्सीन के प्रभावी होने में कोई कमी नहीं है.
एमएचआरए ने कहा कि ज़्यादातर लोगों के लिए इस वैक्सीन को लेने के फ़ायदे अभी भी बहुत ज़्यादा हैं.
उन्होंने यह भी कहा कि जिन लोगों ने भी इसका पहला डोज़ लिया है उन्हें इसका दूसरा डोज़ भी लेना चाहिए, लेकिन जो लोग ख़ून के थक्का जमने के शिकार हुए हैं उन्हें इसकी दूसरी ख़ुराक नहीं लेनी चाहिए.
नियामक संस्था की इस रिपोर्ट के बाद सरकार की सलाहकार संस्था जेसीवीई ने सिफ़ारिश की है कि 18 से 29 साल की उम्र के लोगों को एस्ट्राज़ेनेका के बजाए कोई और वैक्सीन दी जाए.
ब्रितानी सरकार को वैक्सीन पर सलाह देने वाली संस्था जेसीवीआई के के प्रोफ़ेसर लिम वेई शेन का कहना है कि ये कदम किसी गहन चिंता की वजह से नहीं बल्कि एहतियात के तौर पर उठाया गया है.
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