चाणक्य' की चाल काम नहीं आयी
अमित शाह ने चुनावी रैलियों में डंके की चोट पर दावा किया था कि उनकी पार्टी का 200 सीटों का लक्ष्य पूरा हो जाएगा. उनके समर्थक टीवी चैनलों ने इस पर सवाल उठाने के बजाय ये दिखाने की कोशिश की कि किस तरह से पार्टी इस लक्ष्य को हासिल करेगी.
लेकिन अब चाणक्य कहे जाने वाले अमित शाह का ये दावा केवल एक 'चुनावी जुमला' साबित होता दिखाई देता है.
बीजेपी पश्चिम बंगाल को हर हाल में जीतना चाहती थी. पार्टी ने दिसंबर के महीने से ही अपने संसाधनों को चुनावी मुहिम में इस्तेमाल करना शुरू कर दिया था.
पार्टी के अध्यक्ष जेपी नड्डा और गृह मंत्री अमित शाह के रोड शो शुरू हो गए थे. शुरू के दिनों में राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ के प्रमुख मोहन भागवत का बंगाल का दौरा भी अहम माना जा रहा था.
जैसे-जैसे चुनाव के दिन क़रीब आने लगे और आठ राउंड के चुनावों के दौरान भी प्रधानमंत्री मोदी और अमित शाह ने दर्जनों रैलियां कीं. भीड़ से भरी इन रैलियों की तस्वीरें भी सोशल मीडिया पर साझा की गयीं.
केन्द्र सरकार के मंत्रिमंडल का हर अहम मंत्री, हर सांसद बंगाल का चक्कर लगाने लगा. उत्तर प्रदेश के मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने भी राज्य भर में कई सभाओं को सम्बोधित किया
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