जम्मू एयर फ़ोर्स स्टेशन: दो ड्रोन ने 100 मीटर की ऊंचाई से गिराए दो किलो के बम? - प्रेस रिव्यू
जम्मू एयर फ़ोर्स स्टेशन में रविवार को हुए दो धमाकों को लेकर शुरुआती जांच में पाया गया है कि 2-2 किलो के इम्प्रोवाइज़्ड एक्सप्लोज़िव डिवाइसेज़ (आईईडी) हवा से गिराए गए थे.
अंग्रेज़ी अख़बार द इंडियन एक्सप्रेस सूत्रों के हवाले से अपनी रिपोर्ट में लिखता है कि 'इस आतंकी हमले में दो ड्रोन इस्तेमाल किए गए जिसमें 'हाई ग्रेड' की विस्फोटक सामग्री इस्तेमाल की गई थी.'
सुरक्षा प्रतिष्ठान से जुड़े सूत्र ने अख़बार को बताया, "छह मिनट के अंतराल पर सुरक्षा कर रहे जवानों ने दो धमाकों की आवाज़ सुनी. घटनास्थल पर ड्रोन के कोई अवशेष नहीं मिले हैं जिससे ऐसा लग रहा है कि विस्फोटक सामग्री गिराने के बाद वो वापस वहीं चले गए जहां से आए थे."
राष्ट्रीय सुरक्षा एजेंसी (NIA) और राष्ट्रीय सुरक्षा गार्ड (NSG) की बॉम्ब डेटा सेंटर की एक-एक टीम भारतीय वायु सेना बेस की जांच कर रही है. वहीं जम्मू पुलिस ने आतंकवाद की धाराओं के तहत इसका मामला दर्ज किया है.
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सूत्र ने अख़बार को बताया, "शुरुआती जांच से पता चलता है कि यह विस्फोटक सामग्री 100 मीटर की ऊंचाई से गिराई गई है. इसके तुरंत बाद या थोड़ी देर में यह धमाका हुआ है. हर ड्रोन में 2-2 किलो से अधिक की विस्फोटक सामग्री रही होगी. विस्फोटक सामग्री हाई ग्रेड की थी या आरडीएक्स से बनी थी, लेकिन इसके बारे में साफ़तौर पर पूरी जांच के बाद ही कहा जा सकेगा."
सूत्रों का कहना है कि ड्रोन कहां पर बना है यह भी जांच का विषय रहने वाला है.
जम्मू-कश्मीर के एक पुलिस अफ़सर का कहना है, "ऐसा संदेह है कि यह ड्रोन पाकिस्तान से आया था क्योंकि पहले भी जम्मू में ऐसे ड्रोन हथियार गिरा चुके हैं. सीमा से बेस की दूरी (14 किलोमीटर) नियंत्रण रेखा के उस पार से उड़ने वाले ड्रोन के दायरे में है. हालांकि स्थानीय स्तर पर इस काम को किए जाने को भी ख़ारिज नहीं किया जा सकता है इसलिए हर पहलू की जांच ज़रूरी है."
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हालांकि, अभी यह भी साफ़ नहीं है कि एयर फ़ोर्स स्टेशन में किस चीज़ को निशाना बनाने के लिए यह धमाका किया गया था.
एक पुलिस अफ़सर ने नाम न बताने की शर्त पर अख़बार से कहा, "यह भी हो सकता है कि हमलवार यह दिखाना चाहते थे कि हमारे प्रमुख सिक्योरिटी इन्फ़्रास्ट्रक्चर को आसानी से निशाना बनाया जा सकता है. या यह भी हो सकता है कि वो अपना निशाना लगाने में चूक गए हों."
वहीं एक दूसरे अधिकारी का कहना था कि भारी विस्फोटक होने और 100 से 150 मीटर की ऊंचाई होने के कारण शायद निशाना सटीक नहीं लग पाया लेकिन इसमें एक विस्तृत जांच की ज़रूरत है.
अख़बार लिखता है कि 'इस हमले को भारत में किया गया पहला ड्रोन हमला कहा जा सकता है जिसको सुरक्षा प्रतिष्ठान काफ़ी गंभीरता से ले रहे हैं.'
सुरक्षा प्रतिष्ठान के एक अधिकारी का कहना था, "अगर बड़ी सामग्री गिराई जा सकती है तो इससे जान और माल का भारी नुक़सान हो सकता है. इस तरह के हमले को रोकना भी मुश्किल हो सकता है क्योंकि इसे आसानी से अंजाम दिया जा सकता है और इसमें सीमापार करके आए चरमपंथी शामिल नहीं होते. ड्रोन को पकड़ने और उन्हें नष्ट करने की हमारे पास बहुत मज़बूत तकनीक नहीं है. इनको देख पाने में भी काफ़ी मुश्किल होती है."
ट्विटर इंडिया के ग्रीवांस रिड्रेसल ऑफ़िसर ने छोड़ा पद
ग्रीवांस रिड्रेसल ऑफ़िसर (शिकायत निवारण अधिकारी) को नियुक्त करने को लेकर, भारत सरकार और ट्विटर के बीच तनातनी हुई थी जिसके बाद ट्विटर ने इस पद पर अधिकारी नियुक्त कर दिया था लेकिन एक हफ़्ते बाद ही उसे अधिकारी ने कंपनी छोड़ दी है.
टाइम्स ऑफ़ इंडिया के अनुसार, लोकल ग्रीवांस ऑफ़िसर धर्मेंद्र चतुर ने ट्विटर से इस्तीफ़ा दे दिया है.
अख़बार के अनुसार, अमेरिकी कंपनी ने अब नए नियम के उल्लंघन के कारण अपने ग्लोबल लीगल पॉलिसी डायरेक्टर जेरेमी केसेल को इस पद के लिए बहाल किया है लेकिन यह नियुक्ति भी भारत सरकार के नियमों के तहत सही नहीं बैठती है.
नियमों के तहत ग्रीवांस ऑफ़िसर को भारत में ही बैठना होता है जबकि जेरेमी कई सालों से ट्विटर के साथ हैं और सैन फ़्रांसिस्को में काम करते हैं.
ट्विटर इंडिया ने अब तक इस पर कोई टिप्पणी नहीं की है.
ग़ौरतलब है कि 25 फ़रवरी को भारत सरकार ने जिन नए आईटी नियमों की घोषणा की थी उसके तहत 25 मई तक सोशल मीडिया कंपनियों को तीन तरह के अफ़सर नियुक्त करने थे लेकिन ट्विटर ने सिर्फ़ ग्रीवांस ऑफ़िसर के पद पर देरी से नियुक्ति की थी.
कोरोना वैक्सीन की दो डोज़ से अधिक मिलती है सुरक्षा, मुंबई के सर्वे से हुआ साबित
द इंडियन एक्सप्रेस ने मुंबई में एक सर्वे के हवाले से बताया है कि कोरोना वायरस वैक्सीन की दूसरी डोज़ बेहतर तरीक़े से काम करती है.
अख़बार ने सर्वे के हवाले से लिखा है कि मुंबई में 2.9 लाख कोविड मरीज़ों पर किए गए बीएमसी (बृह्नमुंबई म्युनिसिपल कॉर्पोरेशन) के सर्वे में पाया गया है कि इसमें से दूसरी वैक्सीन लेने वाले सिर्फ़ 26 लोगों को दोबारा कोरोना हुआ जबकि पहली वैक्सीन लेने वाले 10,500 लोगों को दोबारा कोरोना हुआ.
बीएमसी के डाटा के अनुसार, 1 जनवरी से 17 जून के बीच यह सर्वे हुआ और इस दौरान मुंबई में 3.95 लाख मामले दर्ज किए गए थे. इनमें से 2.9 लाख मरीज़ों से बीएमसी ने संपर्क किया जो कि होम आइसोलेशन में थे.
बीएमसी की एग्ज़िक्युटिव हेल्थ ऑफ़िसर डॉक्टर मंगला गोमारे ने कहा, "1 लाख मरीज़ जो अस्पताल में भर्ती हुए थे उनकी एंट्री अभी भरनी बाक़ी हैं. हमें उम्मीद है कि यह ट्रेंड एक जैसा ही रहने वाला है."
कोरोना महामारी में अमेरिका, कुवैत से 4000 भारतीय हुए डिपोर्ट
कोरोना महामारी के दौरान हवाई उड़ानों पर विदेश मामलों के मंत्रालय की एक रिपोर्ट में बताया गया है कि स्पेशल उड़ानों से अपनी सज़ा पूरी करने के बाद अमेरिका और कुवैत ने हज़ारों भारतीयों को भारत डिपोर्ट किया था.
हिंदुस्तान टाइम्स अख़बार में छपी रिपोर्ट के अनुसार, अमेरिका और कुवैत से 4,000 लोगों को डिपोर्ट किया गया.
वंदे भारत मिशन पर मंत्रालय की इस रिपोर्ट में बताया गया है कि कुछ भारतीय इन उड़ानों से भी भारत आए.
रिपोर्ट में कहा गया है, "अधिकतर उड़ानों को कुवैत सरकार ने भारत भेजने के लिए संचालित किया था जिनमें से अधिकतर वो लोग थे जो वीज़ा समाप्त होने के बाद अवैध तरीक़े से वहां रह रहे थे. कुवैत सरकार ने इन उड़ानों के लिए पैसा दिया था और यह भी कहा था कि यह मज़दूर भारत लौटने के बाद पुरानी तारीख़ से नए वीज़ा के लिए आवेदन दे सकते हैं."
"दूसरी श्रेणी में वो लोग थे जिन्हें भारत डिपोर्ट किया गया था और जिन्होंने अपनी सज़ाएं पूरी कर ली थीं. इनको भेजने वाले देश के ख़र्चों पर विशेष उड़ानों से वापस भारत लाया गया था."
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