भारत चीन सीमा विवाद : दलाई लामा के जन्मदिन का जश्न रोकने के लिए चीनी सैनिकों की घुसपैठ - प्रेस रिव्यू
लद्दाख के डेमचोक में चीनी सैनिकों की घुसपैठ की ख़बर सामने आई है. अंग्रेज़ी अख़बार टाइम्स ऑफ़ इंडिया की रिपोर्ट के मुताबिक़ तिब्बती लोगों के धार्मिक नेता दलाई लामा का जन्मदिन भारतीय क्षेत्र के गांवों में मनाया जा रहा था और चीनी सैनिकों ने इसका विरोध करने के लिए लद्दाख के डेमचोक में घुसपैठ की.
अख़बार लिखता है कि चीनी सैनिक सिंधु नदी पार कर भारतीय क्षेत्र में आए थे. उनके हाथों में बैनर और चीन के झंडे थे. वे पांच गाड़ियों में आए थे जिन पर आम चीनी लोगों के अलावा चीनी सैनिक भी थे. उन्होंने गांव के कम्युनिटी सेंटर के पास अपना विरोध प्रदर्शन किया जहां दलाई लामा का जन्मदिन मनाया जा रहा था.
लद्दाख में ज़्यादातर बौद्ध लोग दलाई लामा के प्रति श्रद्धा रखते हैं और लेह के पास स्थित उनके महल को हमेशा तैयार रखा जाता है. टाइम्स ऑफ़ इंडिया के मुताबिक़ भारतीय सेना ने इस घटना पर कोई टिप्पणी करने से इनकार कर दिया है. घुसपैठ की इस घटना को गंभीर नहीं माना जा रहा है लेकिन इसे चीन की छोटी-छोटी हरकतों के ज़रिए उकसाने की कोशिश के तौर पर ज़रूर देखा जा रहा है.
डेमचोक के कुछ हिस्सों में चीनी सैनिकों ने भारतीय गश्ती दलों को रोका था और भारत और चीन के बीच चल रही सैनिक स्तर की बातचीत के एजेंडे में डेमचोक का विवाद भी शामिल है.
ये ताज़ा घटना इसी 6 जुलाई को डेमचोक के दक्षिण पूर्वी छोर पर कोयुल के पास डोले टैंगो में हुई है.
असम में गोहत्या निरोधक क़ानून का प्रस्ताव
असम में भारतीय जनता पार्टी के शासन वाली सरकार ने बीफ़, पशुओं को लाने-ले जाने पर पाबंदियां लगाने वाले असम पशु संरक्षण विधेयक, 2021 सोमवार को राज्य विधानसभा में पेश किया.
कोलकाता से छपने वाले टेलीग्राफ़ अख़बार के मुताबिक़, बिना अनुमति के पशु हत्या पर सज़ा के प्रावधान को बढ़ा दिया गया है और ऐसा लगता है कि गायों की हत्या के लिए कोई परमिट नहीं दिया जाएगा.
34 फीसदी मुस्लिम आबादी वाला असम पूर्वोत्तर भारत का पहला ऐसा राज्य है जहां इस तरह की पाबंदी लगाने का प्रस्ताव लाया गया है. पूर्वोत्तर भारत में बीफ़ व्यापक रूप से खाया जाता है और इस क्षेत्र में बड़ी ईसाई आबादी रहती है.
हालांकि गोसंरक्षण भारतीय जनता पार्टी और संघ परिवार के राष्ट्रव्यापी एजेंडे में शुरू से शामिल रहे हैं लेकिन मार्च-अप्रैल में विधानसभा चुनावों के लिए जारी किए गए पार्टी के विज़न डॉक्युमेंट में इसका जिक्र नहीं किया गया था.
प्रस्तावित क़ानून के तहत अनधिकृत रूप से पशुवध करने, पशुओं को लाने-ले जाने और बीफ़ की बिक्री पर जेल की सज़ा छह महीने से बढ़ाकर 8 साल कर दी गई है और इसके लिए जुर्माने का प्रावधान 1000 रुपये से बढ़ाकर 5 लाख रुपये कर दिया गया है.
ममता की चुनाव याचिका पर कलकत्ता हाई कोर्ट का निर्देश
कलकत्ता हाई कोर्ट के एक्टिंग चीफ़ जस्टिस राजेश बिंदल ने सोमवार को निर्देश दिया कि पश्चिम बंगाल की मुख्यमंत्री ममता बनर्जी की चुनाव याचिका पर अब जस्टिस शंपा सरकार सुनवाई करेंगी.
डेक्कन क्रॉनिकल अख़बार की रिपोर्ट के मुताबिक़ पिछले हफ़्ते जस्टिस कौशिक चंद ने तृणमूल सुप्रीमो की चुनाव याचिका की सुनवाई से खुद को अलग कर लिया था.
पश्चिम बंगाल में उस वक़्त नाटकीय स्थिति पैदा हो गई थी जब राज्य में सत्तारूढ़ तृणमूल कांग्रेस ने जस्टिस कौशक चंद पर भारतीय जनता पार्टी की तरफ़दारी करने का आरोप लगाया था.
जस्टिस कौशल चंद हाई कोर्ट के एडिशनल जज हैं जबकि जस्टिस शंपा सरकार एक परमानेंट जज हैं.
ममता बनर्जी ने कोलकाता हाई कोर्ट के एक्टिंग चीफ़ जस्टिस को लिखी शिकायती चिट्ठी में जस्टिस कौशल चंद के राजनीतिक झुकाव के अलावा ये मुद्दा भी उठाया था कि उनकी चुनाव याचिका की सुनवाई की ज़िम्मेदारी एक एडिशनल जज को क्यों सौंपी गई है. इस बात को लेकर जस्टिस कौशक चंद नाराज़ हो गए थे.
माना जा रहा है कि जस्टिस शंपा सरकार इसी हफ़्ते नंदीग्राम विधानसभा सीट से शुभेंदु अधिकारी की जीत के ख़िलाफ़ दायर की गई चुनाव याचिका पर सुनवाई शुरू कर सकती हैं.
केंद्र सरकार ने पेट्रोल-डीज़ल पर टैक्स से 25 लाख करोड़ वसूलेः कांग्रेस
कांग्रेस पार्टी के वरिष्ठ नेता मल्लिकार्जुन खड़गे ने कहा है कि 19 जुलाई से शुरू होने वाले संसद सत्र में महंगाई और ईंधन की क़ीमतों पर आवाज़ उठाई जाएगी.
अंग्रेज़ी अख़बार इकोनॉमिक टाइम्स की रिपोर्ट के मुताबिक़ उन्होंने सोमवार को कहा कि केंद्र सरकार ने ईंधन पर टैक्स के ज़रिए 25 लाख करोड़ रुपये वसूले हैं.
मल्लिकार्जुन खड़गे का कहना है कि केंद्र सरकार न तो इस पैसे का इस्तेमाल ग़रीबों की भलाई के लिए कर रही है और न ही ये पैसा राज्य सरकारों को दे रही है.
मुंबई में एक प्रेस कॉन्फ्रेंस को संबोधित करते हुए उन्होंने कहा, "ईंधन, एलपीजी, खाने के तेल की कीमतें रिकॉर्ड स्तर पर हैं. नरेंद्र मोदी की सरकार ने पिछले सात साल में आम लोगों की ज़िंदगी तकलीफ़ों से भर दी है."
"मोदी सरकार ने पेट्रोल-डीज़ल की कीमतें 326 बार बढ़ाई हैं. इसमें पिछले दो महीनें 38 बार की गई वृद्धि भी शामिल है."
उन्होंने कहा, "यूपीए के कार्यकाल के दौरान पेट्रोल पर केंद्र सरकार का टैक्स 9.48 रुपये प्रति लीटर था जबकि अब ये 32.90 रुपये है. यूपीए के समय कच्चे तेल की कीमत 111 डॉलर प्रति बैरल थी जबकि पेट्रोल की कीमत 71 रुपये प्रति लीटर. इसके ठीक उलट अभी कच्चा तेल 44 डॉलर प्रति बैरल है और पेट्रोल 107 रुपये प्रति लीटर."
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