इमरान ख़ान ने कहा- अमेरिका ने अफ़ग़ानिस्तान में स्थिति बिगाड़ी
तालिबान और पाकिस्तान के संबंधों पर हमेशा सवाल उठते रहते हैं. अफ़ग़ानिस्तान की सरकार खुलकर कहती है कि पाकिस्तान अफ़ग़ानिस्तान में तालिबान को सत्ता सौंपना चाहता है और उसकी मदद कर रहा है. तालिबान के कई बड़े नेताओं को पाकिस्तान में शरण दिए जाने के आरोप भी लगते हैं.
हालाँकि पाकिस्तान की वर्तमान सरकार के मुखिया इमरान ख़ान कहते हैं कि अफ़ग़ानिस्तान में अशांति और अस्थिरता की क़ीमत सबसे ज़्यादा पाकिस्तान ने चुकाई है और अब वो शांति चाहते हैं.
अभी हाल ही में अफ़ग़ानिस्तान के राष्ट्रपति अशरफ़ ग़नी ने ताशकंद में पाकिस्तानी प्रधानमंत्री इमरान ख़ान के सामने कहा था कि पाकिस्तान अफ़ग़ानिस्तान में तालिबान लड़ाकों को भेज रहा है.
पाकिस्तान के प्रधानमंत्री इमरान ख़ान ने पीबीएस नेटवर्क की पत्रकार जूडी वुडरफ़ को दिए इंटरव्यू में कहा है कि अमेरिका ने अफ़ग़ानिस्तान में स्थिति बिगाड़ दी है.
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इमरान ख़ान ने इस इंटरव्यू में सबसे पहले अफ़ग़ानिस्तान में हस्तक्षेप करने के अमेरिकी मक़सद और फिर स्थिति कमज़ोर होने पर तालिबान के साथ राजनीतिक समाधान निकालने के उनके प्रयास पर सवाल उठाया है. उन्होंने कहा, "अमेरिका ने वास्तव में स्थिति बिगाड़ दी है."
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प्रधानमंत्री इमरान ख़ान की यह टिप्पणी तब आई है, जब अमेरिका विदेश मंत्री भारत के दौरे पर हैं. अमेरिकी विदेश मंत्री एंटनी ब्लिंकेन ने भारतीय विदेश मंत्री एस जयशंकर से अफ़ग़ानिस्तान को लेकर भी बात की है.
इमरान ख़ान ने मंगलवार की रात अमेरिकी समाचार कार्यक्रम पीबीएस न्यूज़आवर में कहा, "मुझे लगता है कि अमेरिका ने अफ़ग़ानिस्तान में स्थिति बिगाड़ दी है."
उन्होंने अफ़ग़ानिस्तान में सैन्य समाधान निकालने की अमेरिकी कोशिश की आलोचना करते हुए कहा कि वहाँ यह संभव ही नहीं था.
अमेरिका ने कहाँ ग़लती कर दी?
इमरान ने कहा, "मेरे जैसे लोग जो अफ़ग़ानिस्तान के इतिहास को जानते हैं और वे कहते रहे कि इसका कोई सैन्य समाधान नहीं निकल सकता. इसके लिए मेरे जैसे लोगों को अमेरिका विरोधी कहा जाता था. मुझे तालिबान ख़ान भी कहा गया."
उन्होंने अफ़सोस जताते हुए कहा कि जब तक अमेरिका ने यह महसूस किया कि अफ़ग़ानिस्तान में कोई सैन्य समाधान नहीं निकल सकता, बदक़िस्मती से अमेरिकियों या नेटो की सौदेबाज़ी की ताक़त चली गई.
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पाकिस्तान के प्रधानमंत्री ने कहा कि अमेरिका को बहुत पहले ही राजनीतिक समझौता करना चाहिए था, तब, जब अफ़ग़ानिस्तान में नेटो के डेढ़ लाख सैनिक थे.
पीएम इमरान ख़ान ने कहा, "लेकिन जब उन्होंने सैनिकों की संख्या 10 हज़ार तक कर दी और अफ़ग़ानिस्तान छोड़ने की तारीख़ तय कर दी तो तालिबान ने सोचा कि वो जीत गए हैं. ऐसी स्थिति में उनके साथ समझौता करना बहुत मुश्किल था."
जब प्रधानमंत्री इमरान ख़ान से ये पूछा गया कि क्या तालिबान की वापसी अफ़ग़ानिस्तान के लिए सकारात्मक है, तो उन्होंने कहा, "वहाँ राजनीतिक समाधान ही विकल्प है, जो सबको मिलाकर ही होना चाहिए. ज़ाहिर है तालिबान वहाँ की सरकार का हिस्सा होगा."
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'अफ़ग़ानिस्तान में गृहयुद्ध हम नहीं चाहते'
प्रधानमंत्री इमरान ख़ान ने कहा कि अफ़ग़ानिस्तान में अगर गृह युद्ध छिड़ता है तो यह सबसे ख़राब स्थिति होगी.
उन्होंने कहा, "अगर अफ़ग़ानिस्तान में गृह युद्ध छिड़ा तो हमें दो स्थितियों का सामना करना पड़ेगा. इनमें से एक शरणार्थियों की समस्या होगी."
इमरान ख़ान ने कहा, "पाकिस्तान पहले ही 30 लाख से अधिक अफ़ग़ान शरणार्थियों की पनाहगाह है और हमें डर है कि लंबी अवधि के गृह युद्ध से और अधिक शरणार्थी यहाँ आएँगे. हमारी आर्थिक स्थिति ऐसी नहीं है कि हमारे पास इतनी बड़ी संख्या में शरणार्थी रह पाएँगे."
दूसरी समस्या के बारे में इमरान ख़ान ने बताया कि संभावित गृह युद्ध से पाकिस्तान भी अछूता नहीं रहेगा.
उन्होंने बताया, "तालिबान पश्तून समुदाय से आते हैं और अगर गृह युद्ध जारी रहा तो हमारी ओर के पश्तून भी इसमें शामिल हो जाएँगे. और ऐसा हम नहीं चाहते."
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'पाकिस्तान पर तालिबान का समर्थन करने का आरोप लगाना ग़लत'
जब इमरान ख़ान से तालिबान को पाकिस्तान से मिलने वाले कथित सैन्य, ख़ुफ़िया और वित्तीय सहायता के बारे में पूछा गया ये पूछा गया तो उन्होंने कहा "मुझे यह बहुत ग़लत लगती है."
उन्होंने कहा, "अफ़ग़ानिस्तान में अमेरिकी युद्ध के परिणाम स्वरूप 70 हज़ार पाकिस्तानी मारे गए, वो भी तब जबकि उस घटना (न्यूयॉर्क में 11 सितंबर 2001) से पाकिस्तान का कोई लेना देना नहीं था.''
इमरान ख़ान ने कहा, "तब अल-क़ायदा अफ़ग़ानिस्तान में था और पाकिस्तान में कोई तालिबान चरमपंथी नहीं था. यहाँ तक कि वर्ल्ड ट्रेड सेंटर पर हुए हमले में कोई पाकिस्तानी भी शामिल नहीं था."
उन्होंने दोहराया, "हमारा इससे कोई लेना देना नहीं था."
इमरान ने अफ़सोस जताया कि अफ़ग़ानिस्तान में युद्ध जैसी स्थिति की वजह से पाकिस्तान की अर्थव्यवस्था को 150 अरब डॉलर का नुक़सान हुआ है.
'रेप पर मेरे बयान को संदर्भ से अलग करके देखा गया'
जूडी वुडरफ ने इमरान ख़ान से रेप पर दिए विवादित बयान को लेकर भी पूछा. इमरान ख़ान के इस बयान की वैश्विक स्तर पर आलोचना हुई थी.
19 जून को एचबीओ को दिए इंटरव्यू में इमरान ख़ान ने कहा था, ''अगर कोई महिला बिल्कुल कम कपड़े पहनती है तो इसका प्रभाव मर्दो पर पड़ेगा. जो रोबोट होगा, उसी पर नहीं पड़ेगा. ये सामान्य सी बात है. जिस समाज में आप रहते हैं, वहाँ ये सब चीज़ें नहीं देखी गई हैं तो उनका असर पड़ता है.''
इस इंटरव्यू में इमरान ख़ान ने कहा कि उनके बयान को संदर्भ से काटकर देखा गया.
इमरान ख़ान ने अपनी टिप्पणी पर स्पष्टीकरण देते हुए कहा, ''जो भी रेप करता है, उसके लिए केवल और केवल वही ज़िम्मेदार होता है. पूरी ज़िम्मेदारी उस व्यक्ति की होती है. इसका कोई मायने नहीं है कि महिला ने क्या पहन रखा था. रेप के लिए कोई पीड़िता ज़िम्मेदार नहीं हो सकती. मैंने पिछले इंटरव्यू में पाकिस्तान के समाज की बात की थी. मेरे बयान को संदर्भ से काटकर देखा गया था. मैं कभी ऐसी बेवकूफ़ी भरी बात नहीं करूंगा कि जिसके के साथ रेप हुआ है वो ज़िम्मेदार है...हमेशा वही ज़िम्मेदार होता है जो रेप करता है.''
कॉपी: अभिजीत श्रीवास्तव
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