क्या वाकई तालिबान बदल गया है ? Taliban ने पूरी दुनिया ख़ासकर इस्लामी देशों को चेतावनी देते हुए कहा कि सारी दुनिया और इस्लामी देशों के लिए संदेश है कि वो अपने लोगों के अधिकारों की सुरक्षा करें चाहे उनका संबंध किसी भी धर्म से हो.
तालिबान को लोगों का समर्थन है इसलिए सत्ता मिली: शाह महमूद क़ुरैशी- पाकिस्तान उर्दू प्रेस रिव्यू
- इक़बाल अहमद
- बीबीसी संवाददाता
पाकिस्तान के विदेश मंत्री शाह महमूद क़ुरैशी ने कहा है कि अफ़ग़ानिस्तान सरकार के पास तालिबान से लड़ने की हिम्मत नहीं है और तालिबान को इसलिए आसानी से सफलता मिल गई क्योंकि उन्हें लोगों का समर्थन हासिल है.
अख़बार 'एक्सप्रेस' ने क़ुरैशी के अल-जज़ीरा टीवी को दिए इंटरव्यू का हवाला देते हुए कहा है कि पाकिस्तान पर आरोपों का सिलसिला अब बंद होना चाहिए.
क़ुरैशी ने कहा कि जब अमेरिका ने अफ़ग़ानिस्तान में ऑपरेशन शुरू किया था तो पाकिस्तान से कोई राय-मशविरा नहीं किया गया था. उन्होंने कहा कि पाकिस्तान को अपने लोगों और अपने क्षेत्रों की सुरक्षा के लिए अमेरिका के आगे झुकना पड़ा था.
क़ुरैशी ने कहा, ''9-11 हमले के लिए पाकिस्तान ज़िम्मेदार नहीं था फिर भी उसके 80 हज़ार से ज़्यादा लोग मारे गए, 150 अरब डॉलर का नुक़सान हुआ, 20 लाख से ज़्यादा लोग आंतरिक विस्थापन के शिकार हुए और आज भी पाकिस्तान 30 लाख से ज़्यादा अफ़ग़ान लोगों को अपने यहां शरण दे रहा है. इन सबके बावजूद उसे 'डू मोर' (Do More) यानी और ज़्यादा कोशिशें करने का ताना दिया जाता रहा.''
''अफ़ग़ानिस्तान में लोगों पर थोपी गई सरकार को राजनीतिक समर्थन हासिल नहीं था, लेकिन पाकिस्तान की बात किसी ने नहीं मानी. अमेरिका ने अफ़ग़ानिस्तान से अचानक चले जाने का फ़ैसला भी पाकिस्तान से राय लिए बग़ैर किया था और अब वहां फंसे लोगों को सुरक्षित निकालने में पाकिस्तान सक्रिय भूमिका निभा रहा है लेकिन अफ़सोस है कि अंतरराष्ट्रीय बिरादरी इसकी सराहना नहीं कर रही है.''
पाकिस्तानी विदेश मंत्री ने कहा, "अफ़ग़ान सरकार के पास आधुनिक हथियारों से लैस तीन लाख से अधिक प्रशिक्षित सेना थी, लेकिन अगर उनके पास लड़ाई करने की हिम्मत ही नहीं थी तो क्या उसका ज़िम्मेदार भी पाकिस्तान है?"
"तालिबान आसानी से और बिना लड़े आगे बढ़ते चले गए क्योंकि उन्हें स्थानीय लोगों का समर्थन हासिल था. अमेरिकी सेना के चले जाने से पहले भी अफ़ग़ानिस्तान के क़रीब 40-45 फ़ीसदी इलाक़े पर तालिबान का ही क़ब्ज़ा था. अशरफ़ ग़नी की सरकार सिर्फ़ राजधानी काबुल और चंद शहरी इलाक़ों तक सीमित थी."
शाह महमूद क़ुरैशी ने कहा कि उन्होंने अफ़ग़ानिस्तान के नॉर्दन अलायंस के नेताओं से भी बातचीत की है और वो नहीं चाहते कि 90 के दशक की ग़लतियों को दोहराया जाए.
तालिबान के बारे में उनका कहना था, "तालिबान नेताओं के हालिया बयान से बहुत हिम्मत बढ़ी है, जिनसे उनकी एक नई सोच का पता चलता है. हमें भी नरमपंथी गुट का समर्थन करना चाहिए. अफ़ग़ानिस्तान में शांति बहाली के लिए किए जाने वाले अंतरराष्ट्रीय प्रयासों में पाकिस्तान भी बराबर का हिस्सेदार है."
मजबूरन बंदूक़ उठाई: तालिबान नेता ख़लीलुर्रहमान हक़्क़ानी
वरिष्ठ तालिबान नेता ख़लीलुर्रहमान हक़्क़ानी ने कहा है कि अमेरिका से दुश्मनी पहले तालिबान ने नहीं शुरू की थी और वो अब भी नहीं कर रहे हैं.
अख़बार 'जंग' के अनुसार एक टीवी चैनल से बातचीत के दौरान हक़्क़ानी ने कहा, "अमेरिका ने हमारे धर्म, हमारे मुल्क और हमारी संस्कृति से ज़्यादती की तो हमने मजबूरन बंदूक़ उठाई. अमेरिकी सैनिक अफ़ग़ानिस्तान की धरती पर अफ़ग़ान लोगों के ख़िलाफ़ ही अमेरिकी हथियारों का इस्तेमाल कर रहे थे. "
अमेरिका पर तंज़ करते हुए हक़्क़ानी ने कहा कि अल्लाह की कृपा से अब वही हथियार तालिबान को युद्ध लूट (War Booty) के रूप में मिल गए हैं.
हक़्क़ानी ने कहा, ''अशरफ़ ग़नी, अमरुल्लाह सालेह और हमदुल्लाह मोहिब को आम माफ़ी दे दी गई है, अब उन लोगों से कोई दुश्मनी नहीं है. तालिबान की दुश्मनी सिस्टम से थी और अब वो सिस्टम ही ख़त्म हो गया है.''
उन्होंने पूरी दुनिया और ख़ासकर इस्लामी देशों को चेतावनी देते हुए कहा कि सारी दुनिया और इस्लामी देशों के लिए संदेश है कि वो अपने लोगों के अधिकारों की सुरक्षा करें चाहे उनका संबंध किसी भी धर्म से हो.
तालिबान नेता ने कहा कि अफ़ग़ानिस्तान में एक समावेशी सरकार बनेगी जिसमें सभी वर्गों और सभी संगठनों के लोग शामिल होंगे.
अफ़ग़ानिस्तान: पुतिन और अर्दोआन ने की फ़ोन पर बात
रूस के राष्ट्रपति पुतिन और तुर्की के राष्ट्रपति रेचेप तैय्यप अर्दोआन के बीच फ़ोन पर बातचीत हुई है जिसमें दोनों नेताओं ने अफ़ग़ानिस्तान के ताज़ा हालात पर अपना-अपना पक्ष रखा.
अर्दोआन ने इस दौरान पुतिन से कहा कि अफ़ग़ानिस्तान की नई सरकार को देश के सभी समुदायों का प्रतिनिधित्व करना चाहिए.
दोनों नेताओं ने कहा कि अफ़ग़ानिस्तान में दहश्तगर्दी और नशीले पदार्थों के ख़िलाफ़ लड़ाई बहुत अहम है.
दोनों नेताओं के बीच काबुल हवाई अड्डे के प्रबंधन के अलावा अफ़ग़ानिस्तान में नई सरकार के गठन के बारे में बातचीत हुई.
'तालिबान महिलाओं और मानवाधिकार के अपने वादे पूरे करें'
पाकिस्तान के सेना प्रमुख जनरल क़मर जावेद बाजवा ने कहा है कि उन्हें उम्मीद है कि तालिबान महिलाओं और मानवाधिकार के मामले में अंतरराष्ट्रीय जगत से किए गए अपने वादों को पूरा करेंगे.
अख़बार 'नवा-ए-वक़्त' के अनुसार पाकिस्तानी सेना के एक कार्यक्रम को संबोधित करते हुए जनरल बाजवा ने कहा कि अब अफ़ग़ानिस्तान की धरती किसी दूसरे देश के ख़िलाफ़ इस्तेमाल नहीं होगी. उनके अनुसार अफ़ग़ानिस्तान में अशांति और अस्थिरता की पाकिस्तान ने भारी क़ीमत चुकाई है.
भारत का नाम लिए बग़ैर जनरल बाजवा ने कहा कि पाकिस्तान के ख़िलाफ़ वही लोग यह साज़िश कर रहे हैं जो क्षेत्र में शांति बहाली में रुकावट हैं. उन्होंने कहा कि अफ़ग़ानिस्तान में अमन और स्थिरता के लिए पाकिस्तान अपना किरदार अदा करता रहेगा.
इस अवसर पर उन्होंने भारत प्रशासित कश्मीर का भी ज़िक्र किया.
जनरल बाजवा ने कहा, "अंतरराष्ट्रीय जगत को इस बात का एहसास होना चाहिए कि कश्मीर समस्या के शांतिपूर्ण और न्यायपूर्ण हल तक इलाक़े में शांति की उम्मीद करना मृगमरीचिका है."
भारत पर निशाना साधते हुए जनरल बाजवा ने कहा, "एक स्वतंत्र और शांतिपूर्ण क्षेत्र की कल्पना हमारे पड़ोस में अतिवादी और सांप्रदायिक सोच के हाथों गिरवी है."
इस बीच पाकिस्तान के एक सामाजिक और धार्मिक संगठन जमात-ए-इस्लामी के प्रमुख सिराज-उल-हक़ ने पाकिस्तानी सरकार से माँग की है कि अफ़ग़ानिस्तान की तालिबान सरकार को फ़ौरन मान्यता दी जाए.
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