RRB NTPC विवाद: 'पकौड़े तलने में बुराई नहीं लेकिन हम ग्रैजुएट हैं'


बिहार छात्र आंदोलन

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अपनी मांगों को लेकर छात्रों ने 28 जनवरी को बिहार बंद बुलाया

बिहार में आरआरबी-एनटीपीसी की परीक्षा में धांधली के आरोपों की वजह से फूटा छात्रों का गुस्सा थमने का नाम नहीं ले रहा है.

सरकार की ओर से परीक्षा में पास और फेल हुए छात्रों की बातों को सुनकर रिपोर्ट सौंपने के लिए एक पांच सदस्यीय समिति गठित कर दी गई है.

लेकिन छात्रों में आक्रोश अभी भी बरकरार है और ये आंदोलित छात्र सरकार से अपनी कुछ मांगें पूरी करवाना चाहते हैं.

इतना ही नहीं इन मांगों के पूरा न होने की स्थिति में छात्रों ने अगली योजना भी तैयार कर ली है.

प्रदर्शन में शामिल एक छात्र से जब बीबीसी ने सवाल किया कि वह पढ़ाई की बजाय विरोध में क्यों शामिल हैं, तो उन्होंने जवाब दिया, "पढ़ रहे थे, सस्पेंड कर दिया एग्ज़ाम. अब पता ही नहीं कि दो साल बाद लेंगे या 2024 से पहले लेंगे. घरवालों को कबतक बताएं कि छह साल से मैं एक एग्ज़ाम की तैयारी कर रहा हूं. आप हमको बता दीजिए कि कब फ़ाइनल एग्ज़ाम लेंगे."

छात्रों का विरोध प्रदर्शन

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अपना नाम "बेरोज़गार युवा" बताने वाले एक अन्य छात्र कहते हैं, "ग्रुप डी में दो दो परीक्षा का एलान तभी कर देते जब 2019 में फॉर्म भरे थे."

"रेल मंत्री कह रहे हैं कि एक करोड़ से ज़्यादा फॉर्म भरे गए, जिन्हें छांटने के लिए दो स्तरीय व्यवस्था हुई. लेकिन 20 दिन पहले इसकी सूचना दी गई है. 20 दिन में कौन सी तैयारी कर लेगा स्टूडेंट?"

इसी बात को आगे बढ़ाते हुए अन्य प्रदर्शनकारी छात्र कहते हैं, "रेल मंत्री द्वारा बोला गया कि ग्रुप डी में दो एग्ज़ाम इसलिए लिए जा रहे हैं क्योंकि इसमें एक करोड़ 25 लाख बच्चों ने फ़ॉर्म भरे हैं, जबकि 2018 में एक करोड़ 89 लाख छात्रों ने फ़ॉर्म भरा था."

"तब आपने सीबीटी-1 कराकर (एक ही परीक्षा) जॉइनिंद करा दी. 2019 में दूसरी परीक्षा लाने की ज़रूरत क्यों पड़ी?"

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रेल मंत्री की बातों से कितना मान गए छात्र?

"समिति कितने समय में रिपोर्ट देगी, इसपर संशय"

पटना में रहकर ग्रुप डी की नौकरी के लिए तैयारी कर रहे छात्र श्याम बालक सिंह कहते हैं, "महीने में 4500 रुपये के आसपास खर्च हो जाता है."

"पिताजी पैसे देते हैं और सवाल करते हैं कि बाबू तुमको कब तक नौकरी मिलेगा. हमने कहा कि इस बार तैयारी है. लेकिन सरकार की मंशा हमें बेरोज़गार रखने की लगती है."

वह कहते हैं, "सरकारी नौकरी निकलती है तो उसमें तय नहीं रहता कि उसका मेन्स कब होगा और मेडिकल कब होगा. जब इसकी कोई गारंटी नहीं तो आपकी कमेटी की क्या गारंटी है कि वो एक महीने में रिपोर्ट देगी कि 10 साल में देगी."

"आखिर हम लोग क्या करें. सरकार हमें बुद्धू न समझें. सरकार सही ऐक्शन लें और ग्रुप डी में दो परीक्षा कैंसिल कीजिए. आपतक खबर पहुंच चुकी है, इसलिए जितना जल्दी हो एक्शन लें."

नौकरी न मिलने की स्थिति में प्लान बी क्या होगा, इस सवाल पर छात्र श्याम बालक सिंह ने कहा, "हम लोगों ने सही तरीके से तैयारी की है. सरकार हर साल कैलेंडर जारी करे. दो हज़ार ही बहाली दे लेकिन हर साल कैलेंडर दे, डेट फ़िक्स करे."

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"पकौड़े ही तलने थे तो ग्रैजुएशन क्यों कराई"

एक अन्य प्रदर्शनकारी छात्र ने बीबीसी से कहा, "पकौड़े तलने में बुराई नहीं लेकिन हम ग्रैजुएट हैं. ग्रैजुएशन व्यवस्था लाए ही क्यों? कह देते कि पांचवीं पास कर के पकौड़े तलिए तो हम वही करते."

"हम लोगों के मकान मालिक लॉकडाउन में एक रुपया नहीं छोड़े. मेरे माता-पिता दुख काटकर पढ़ा रहे हैं. रेलवे नौकरी का सबसे बड़ा सेक्टर है. उसे ही बेच देंगे तो युवा जाएगा कहां. ये छोटी-मोटी क्रांति नहीं है."

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उन्होंने आगे कहा, "14 तारीख को रिज़ल्ट आया और 24 तारीख तक हमने डिजिटल प्रोटेस्ट किया. 1 करोड़ ट्वीट किए हमने. आपने सुना नहीं. पहले दिन जब हम सड़क पर आए राजेंद्र नगर टर्मिनल की पुण्य धरती से, उसमें किसी भी छात्र ने एक पत्थर तक नहीं चलाया."

"पुलिस-प्रशासन ने इतना मारा कि कई लोगों के हाथ फट गए. अराजकता गलत है लेकिन हम लोगों को मारना आपने (प्रशासन) चालू किया."

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सरकार ने मांगे नहीं मानी तो क्या होगा?

समिति भले ही गठित कर दी गई है लेकिन छात्रों में अभी भी आक्रोश है. छात्रों की मांग है कि एनटीपीसी का रिवाज़्ड रिज़ल्ट लाया जाए.

पटना में जिस जगह छात्रों और पुलिस की भिड़ंत हुई, वहीं मौजूद एक अन्य छात्र ने बीबीसी से कहा, "छोटे तबके के लोगों के बच्चे ही ग्रुप डी या एनटीपीसी की तैयारी करते हैं. मेरे पिताजी सिलेंडर ढोने का काम करते हैं. अगर हमारे साथ ऐसा ही होता रहा तो हम क्या करेंगे, पढ़ाई छोड़ देंगे."

आरआरबी-एनटीपीसी परीक्षा विवाद

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वह आगे कहते हैं, "यदि ग्रुप डी के नोटिफ़िकेशन में बदलाव हो सकता है तो एनटीपीसी के रिज़ल्ट में भी बदलाव हो सकता है. सरकार नहीं करती है ऐसा तो आंदोलन जारी रहेगा."

एक अन्य छात्र कहते हैं, "रेल मंत्री अश्विनी वैष्णव कहते हैं कि कोरोना के चलते परीक्षा नहीं हुई. कोरोना में बंगाल चुनाव हो रहा है लेकिन परीक्षा नहीं. 2019 में मार्च में वैकंसी आई है, 2021 में एग्ज़ाम हुआ और अब रिज़ल्ट आया है. चार साल प्रक्रिया चलेगी तो कैसे काम चलेगा. कम से कम सरकार जिस विभाग में जितना सीट खाली है वह तो भरे."

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सामग्री् उपलब्ध नहीं है

सोशल नेटवर्क पर और देखिएबाहरी साइटों की सामग्री के लिए बीबीसी ज़िम्मेदार नहीं है.

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मौके पर मौजूद दूसरे छात्र ने कहा, "प्रधानमंत्री और रेल मंत्री पूरी तरह से अपने सिस्टम को सही करें और नहीं कर सकते तो इस्तीफ़ा दे दें."

सुपौल जिले से पटना आए छात्र कहते हैं, "सरकार जब तक परीक्षाओं का कैलेंडर जारी नहीं करेगी तब तक आंदोलन जारी रहेगा."

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