नमक का ज़रूरत से ज़्यादा इस्तेमाल कैसे आपको........
नमक का ज़रूरत से ज़्यादा इस्तेमाल कैसे आपको बीमार कर सकता है
- क्रिस्टोफर डैमन
- द कन्वर्सेशन
इंसान नमक का इस्तेमाल सभ्यताओं के उदय के समय से ही कर रहा है.
खाने-पीने की चीज़ों को स्वाद के लिहाज से बेहतर बनाने, उसे प्रिज़र्व और प्रोसेस करने के लिए मुख्य रूप से इसका इस्तेमाल होता है.
कहा जाता है कि एक वक़्त में प्राचीन रोम में व्यापार के लिए नमक इतना महत्वपूर्ण था कि सैनिकों को उनका वेतन नमक के रूप में दिया जाता था.
नमक फूड प्रिज़र्वेटिव के रूप में अवांछित जीवाणुओं को नियंत्रित करने और फायदेमंद जीवाणुओं को पनपने में मदद करता है.
नमक में बैक्टीरिया के ग्रोथ को कंट्रोल करने की ये काबिलियत नहीं होती तो चीज़, ब्रेड, सलामी जैसे फर्मेंटेड फूड (किण्वित खाद्य पदार्थ) तैयार करना आसान नहीं होता.
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नमक के अधिक इस्तेमाल के ख़तरे
आज नमक एक ऐसा सर्वव्यापी खाद्य पदार्थ बन गया है जिसका इस्तेमाल प्रोसेस्ड फूड में बढ़ता जा रहा है.
लेकिन इसके कुछ ख़तरे भी हैं. अब इस बात के सबूत लगातार मिल रहे हैं कि बहुत ज़्यादा नमक लोगों को बीमार कर रहा है.
ख़ासकर वैसे प्रोसेस्ड फूड जिसमें स्वाद बढ़ाने और उसे प्रिज़र्व करने के लिए सोडियम क्लोराइड यानी नमक मिलाया जाता है.
ये हाई ब्लड प्रेशर (उच्च रक्तचाप) की वजह बन सकता है और हार्ट अटैक और स्ट्रोक के ख़तरे बढ़ा सकता है.
नमक की अधिक मात्रा में सेवन को पेट और कोलन (मलाशय) के कैंसर, कान के रोग, मोटापे और हड्डियों के कमज़ोर होने जैसे ख़तरों के बढ़ने से भी जोड़ा जाता है.
नमक, जो कभी सोने से अधिक कीमती माना जाता था आज वो कैसे कुछ मेडिकल संस्थाओं की ओर से बीमारियों की अहम वजह बताया जा रहा है.
नमक के पैरोकारों के पास शायद इसका जवाब होगा.
यूनिवर्सिटी ऑफ वॉशिंगटन के रिसर्च वैज्ञानिक और गैस्ट्रोएंटेरोलॉजिस्ट होने के नाते मैं बताना चाहता हूं कि आपकी आंतों में मौजूद जीवाणु भी बता सकते हैं कि नमक कैसे बीमारियों को ला सकता है.
विश्व स्वास्थ्य संगठन
ब्लड प्रेशर और हृदय से जुड़ी बीमारियों में सोडियम की भूमिका अहम होती है क्योंकि ये रक्त शिराओं में पानी की मात्रा को नियंत्रित करता है.
आसान भाषा में कहें तो रक्त में जितना ज़्यादा सोडियम होगा, वो रक्त शिराओं में उतना ज़्यादा पानी आकर्षित करेगा.
इस कारण उच्च रक्त चाप होगा और इससे दिल का दौरा पड़ने के जोखिम बढ़ जाएंगे.
रक्त चाप पर नमक का असर लोगों पर कम या ज़्यादा हो सकता है.
हाल में हुए शोध ये बताते हैं कि आंतों के जीवाणुओं को ख़त्म करते हुए नमक के कारण रक्त चाप की समस्या बढ़ सकती है.
नमक के कारण शरीर में मौजूद स्वस्थ जीवाणु कम होते हैं और इससे आपकी पाचन प्रक्रिया पर भी नकारात्मक असर होता है.
इसी कारण लोग लंबे समय से खाने को प्रिज़र्व करने और बैकटीरिया से दूर रखने के लिए नमक का इस्तेमाल करते रहे हैं.
आज कल के खाने में काफी ज़्यादा सोडियम होता है.
विश्व स्वास्थ्य संगठन के मुताबिक़, एक दिन में एक व्यस्क को औसतन 2000 मिलिग्राम से ज़्यादा सोडियम का सेवन नहीं करना चाहिए.
दुनिया में सोडियम का औसतन सेवन क़रीब 4310 मिलिग्राम है, इस कारण स्वास्थ्य नमक का इस्तेमाल भी बढ़ गया है.
मोटापा और नमक
रक्त चाप के अलावा नमक का आपकी सेहत पर कुछ दूसरी तरह से असर भी पड़ सकता है और यहां भी आपके जीवाणु इसमें अहम भूमिका अदा कर सकते हैं.
खाने-पीने में सोडियम की ज़्यादा मात्रा और मल में सोडियम का उच्च स्तर मेटाबॉलिक डिसऑर्डर से संबंधित होते हैं. इसमें मधुमेह, फैटी लीवर और मोटापे की चुनौतियां भी शामिल हैं.
एक शोध में अनुमान लगाया गया है कि रोज के खाने में सोडियम की बढ़ी एक ग्राम मात्रा के कारण मोटापा होने का जोखिम 15 फ़ीसदी तक बढ़ जाता है.
यूएस नेशनल इंस्टीट्यूट ऑफ हेल्थ की एक स्टडी से पता चला कि जिन लोगों ने अल्ट्रा प्रोसेस्ड फूड को दो हफ़्ते तक खाया, उन लोगों ने बाक़ी की तुलना में 500 कैलोरी का ज़्यादा सेवन किया और उनका वज़न एक किलो तक बढ़ा.
अल्ट्रा प्रोसेस्ड फूड में लोग अतिरिक्त 1.2 ग्राम सोडियम का सेवन करते हैं. साधारण प्रोसेस्ड फूड से तुलना करने पर ये एक बड़ा फर्क है.
कैलोरी ना होने के बावजूद नमक का ज़्यादा इस्तेमाल वजन कैसे बढ़ा सकता है? इसका एक जवाब ये है कि सोडियम के कारण खाने की तलब बढ़ती है.
जब सोडियम शुगर के साथ मिलता है तो ये सेहत के लिए अच्छा नहीं रहता है. खाने-पीने की वो चीज़ें,जिन्हें आपका बार-बार खाने का मन करता है उससे आपका वजन बढ़ सकता है.
ये खाना आपके दिमाग पर असर डालता है और आपको इसकी लत लग जाती है.
नमक भी तलब पैदा करने का काम करता है और ये आपकी आंतों के जीवाणुओं पर भी असर डालता है.
मोइक्रोबॉयम मैटाबॉलिटिज कुदरती तौर पर ऐसी चीज़ों को छोड़ते हैं, जो वज़न घटा सकते हैं. जैसे वेगोवी और ओज़ेमपिकय.
जीएलपी-1 के ज़रिए एक स्वस्थ माइक्रोबॉयम ब्लड शुगर के स्तर को भी नियंत्रित कर सकता है.
नमक की खपत कम करने की कोशिशें
कई देश नमक के बढ़े हुए इस्तेमाल को संतुलित करने की दिशा में कदम बढ़ा रहे हैं लेकिन इसके बावजूद दुनिया के कई हिस्सों में सोडियम की खपत का बढ़ना जारी है.
खान-पान में नमक के इस्तेमाल को कम करने की दिशा में अमेरिका ज़्यादा कुछ नहीं कर पाया है लेकिन कई यूरोपीय देशों में इसके अच्छे नतीजे अब सामने आने लगे हैं.
वे पैकेज्ड फूड पर नमक की मात्रा को लेकर बेहतर तरीके से लेबल लगा रहे हैं, फूड रिफॉर्मूलेशन का सहारा लिया जा रहा है. फूड रिफॉर्मूलेशन के तहत पैकेज्ड फूड में नमक, चीनी और फैट कॉन्टेंट को कम किया जाता है. यहां तक कि कुछ जगहों पर सॉल्ट टैक्स भी लगाया गया है.
विभिन्न देशों में सर्व किए जाने वाले फास्ट फूड में मौजूद नमक के तुलनात्मक अध्ययन से भी इनकी विविधता का अंदाजा मिलता है.
उदाहरण के लिए अमेरिका में मैकडोनाल्ड का चिकन नगेट्स अधिक नमकीन होता है. यहां तक कि अमेरिका में मिलने वाले कोका कोला में नमक रहता है जबकि अन्य देशों में ऐसा नहीं है.
इसमें अमेरिका की सॉल्ट इंडस्ट्री की भी भूमिका है.
साल 2010 के दशक में सरकार इस सिलसिले में कोई क़ानून न बना सके, इसके लिए सॉल्ट इंडस्ट्री ने अपने रसूख का इस्तेमाल किया था.
ये कुछ वैसा ही था जैसा अस्सी के दशक में टुबैको (तंबाकू) कंपनियों ने सिगरेट के मामले में किया था.
आख़िर खाने-पीने की नमकीन चीज़ें ख़ूब बिकती जो हैं.
हमारे खान-पान में नमक के इस्तेमाल को कम करने की ज़रूरत बढ़ रही है और इसके साक्ष्य सामने आने लगे हैं.
सरकारी प्रतिष्ठानों ने भी इस ज़रूरत को समझना शुरू कर दिया है.
साल 2021 में अमेरिका के कृषि विभाग ने उद्योग जगत से ये अपील की कि वे खुद ही पैकेज्ड और प्रोसेस्ड फूड में नमक के इस्तेमाल को धीरे-धीरे कम करने की दिशा में कदम उठाएं.
कार्गिल जैसी कुछ अमेरिकी कंपनियों ने इस अपील पर सहमति भी जताई थी.
संतुलन की ज़रूरत
ऐसे में सवाल उठता है कि आप जितनी मात्रा में नमक का सेवन कर रहे हैं, उसे देखते हुए अपनी आंतों में मौजूद जीवाणुओं की खुराक का ख्याल कैसे रखेंगे.
इसकी शुरुआत आप प्रोसेस्ड फूड के अपने उपभोग को सीमित करके कर सकते हैं.
नमक मिला हुआ प्रोसेस्ड मीट, क्रैकर्स और चिप्स जैसी नमकीन चीज़ें, चटनी, ब्रेड और सोडा जैसे सॉल्टी स्नैक्स, ये वो चीज़ें हैं जिन्हें नमक के लिहाज से उच्चे दर्जे के प्रोसेस्ड फूड में रखा जाता है.
फिलहाल अमेरिका में जितने नमक की खपत होती है, उसका 70 फ़ीसदी पैकेज्ड और प्रोसेस्ड फूड के हिस्से से आता है.
इससे बचने के लिए कम सोडियम और कम शुगर वाली खाद्य चीज़ों से ध्यान हटाकर पोटैशियम और फाइबर की अधिकता वाली चीज़ों पर फोकस बढ़ाया जा सकता है.
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ये वो खाद्य पदार्थ हो सकते हैं, जिन्हें प्रोसेस नहीं किया गया हो, जैसे- बीन्स, अखरोट-बादाम जैसे मेवे, सीड्स, साबुत अनाज, फल और सब्जियां.
फर्मेंटेड फूड, जिनमें सोडियम अधिक मात्रा में होता है, ये भी अच्छे विकल्प हो सकते हैं क्योंकि फाइबर, पोटेशैयिम और पॉलीफेनोल जैसे माइक्रोन्यूट्रिएंट्स (सूक्ष्म पोषक पदार्थ) प्रचुर मात्रा में होते हैं.
और आख़िर में हमें अपने खान-पान में सोडियम और पोटैशियम के संतुलन का ख्याल रखना है. सोडियम रक्त शिराओं में और पोटैशियम कोशिकाओं में तरलता को बरकरार रखने में मदद करता है.
अगर इनका संतुलित अनुपात में सेवन किया जाए तो अच्छे नतीजे मिलते हैं.
अगर आप नमक से जुड़ी सभी सलाहों पर पूरी तरह से यकीन नहीं करते हैं और इसके इस्तेमाल को लेकर सतर्क रहते हैं तो आपके भीतर मौजूद जीवाणु आपको शुक्रिया ही कहेंगे.
(क्रिस्टोफर डैमन यूनिवर्सिटी ऑफ़ वाशिंगटन के स्कूल ऑफ़ मेडिसिन में गैस्ट्रोएंटेरोलॉजी के एसोसिएशट प्रोफेसर हैं.)
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