राहुल गांधी ने टेक्सास में एक कार्यक्रम में कहा था, ''आरएसएस मानता है कि भारत ‘एक विचार’ है, जबकि हम मानते हैं कि भारत ‘कई विचारों’ से बना है. हम अमेरिका की तरह मानते हैं कि हर किसी को सपने देखने का अधिकार है, सबको भागीदारी का मौक़ा मिलना चाहिए और यही लड़ाई है.'' उनके इस बयान पर केंद्रीय मंत्री शिवराज सिंह चौहान ने जवाब देते हुए कहा कि राहुल गांधी कुंठाग्रस्त हैं. राहुल गांधी ने और अमेरिका में क्या कहा पढ़ें बीबीसी हिंदी की पूरी रिपोर्ट
राहुल गांधी अमेरिका में ऐसा क्या कह रहे हैं जिसका जवाब देने उतरी बीजेपी
अमेरिका दौरे पर गए लोकसभा में नेता विपक्ष राहुल गांधी कई कार्यक्रमों में शिरकत कर रहे हैं. उनके इन कार्यक्रमों में दिए गए बयान लगातार सुर्ख़ियां बन रहे हैं और उस पर सत्तारूढ़ बीजेपी के नेताओं के बयान भी आ रहे हैं.
टेक्सास में उनके दिए गए बयान की काफ़ी चर्चाएं थीं जिस पर बीजेपी नेता और केंद्रीय मंत्री शिवराज सिंह चौहान और गिरिराज सिंह ने जवाब दिया था.
अब वॉशिंगटन डीसी में एक कार्यक्रम में राहुल गांधी के दिए गए बयानों पर भी हंगामा खड़ा हो गया है. इन बयानों का जवाब देने के लिए बीजेपी की ओर से केंद्रीय मंत्री हरदीप सिंह पुरी और पार्टी नेता जगदंबिका पाल सामने आए हैं.
वॉशिंगटन डीसी में इंडियन ओवरसीस कांग्रेस के एक कार्यक्रम में राहुल गांधी ने कहा कि वो संसद में प्रधानमंत्री (मोदी) को सामने से देखते हैं और कह सकते हैं कि ‘56 इंच, भगवान से सीधे संपर्क जैसे मोदी के आइडिया अब सब जा चुके हैं और ये अब इतिहास बन चुके हैं.’
इंडियन ओवरसीज़ कांग्रेस के चेयरपर्सन सैम पित्रोदा ने बीते सप्ताह समाचार एजेंसी पीटीआई से कहा था कि विपक्ष के नेता अमेरिका किसी आधिकारिक हैसियत से नहीं बल्कि ‘व्यक्तिगत तौर’ पर आ रहे हैं.
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राहुल गांधी ने और क्या-क्या कहा
वॉशिंगटन डीसी के जॉर्जटाउन यूनिवर्सिटी के एक कार्यक्रम में कांग्रेस नेता राहुल गांधी ने इस साल हुए लोकसभा चुनावों को लेकर कहा है कि वो इसे ‘स्वतंत्र चुनाव की तर नहीं देखते हैं बल्कि इसे बेहद नियंत्रित चुनाव की तरह देखते हैं.’
राहुल गांधी ने बीजेपी पर आरोप लगाते हुए कहा, “मैं नहीं मानता हूं कि निष्पक्ष चुनाव में बीजेपी 240 सीटों के क़रीब तक भी पहुंच पाती. उनके पास भारी पैसे की बढ़त थी और हमारे बैंक अकाउंट्स को लॉक कर दिया गया था."
"चुनाव आयोग वही कर रहा था जो वो चाहते थे. पूरा का पूरा अभियान इस बनावट का था ताकि मोदी अपना एजेंडा पूरे देश में ले जा सकें जिसमें हर राज्य के लिए अलग डिज़ाइन था. मैं इसे एक स्वतंत्र चुनाव की तरह नहीं देखता हूं. मैं इसे बेहद नियंत्रित चुनाव की तरह देखता हूं.”
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उन्होंने कहा कि वो पीएम मोदी से नफ़रत नहीं करते हैं, बल्कि उनके दृष्टिकोण से सहमत नहीं होते हैं, कई लम्हों पर उनसे सहानुभूति रहती है.
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साथ ही राहुल गांधी ने कहा कि जातिगत जनगणना अब न रुकने वाला आइडिया है.
उन्होंने कहा, “भारत के 90 फ़ीसदी लोग यानी के ओबीसी, दलित, आदिवासी की हिस्सेदारी ही नहीं है. ये जाति, धर्म और हिंदुत्व का सवाल नहीं बल्कि पारदर्शिता का सवाल है. मैं ऐसे देश में नहीं रहना चाहूंगा जहां पर 90 फ़ीसदी लोगों के पास अवसर ही नहीं हैं.”
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भारतीय समयानुसार मंगलवार सुबह तड़के राहुल गांधी ने इंडियन ओवरसीज़ कांग्रेस के कार्यक्रम में भारतीय मूल के लोगों को संबोधित किया. उन्होंने इस दौरान कहा कि लोकसभा चुनाव के परिणामों के बाद कुछ बदल गया है और लोग कहते हैं कि ‘अब डर नहीं लगता है, डर निकल गया है.’
उन्होंने कहा, “ये बताता है कि नरेंद्र मोदी और बीजेपी ने डर फैलाया. उस डर को पैदा करने में सालों लगे, प्लानिंग चली, पैसा लगा और एक सेकंड में सब ख़त्म. ये सब संसद में दिखता है. मैं प्रधानमंत्री (मोदी) को सामने से देखता हूं और आपसे कह सकता हूं कि 56 इंच, भगवान से सीधे संपर्क जैसे मोदी के आइडिया अब सब जा चुके हैं और ये अब इतिहास बन चुके हैं. वो ख़ुद, भारत, उनके तीन-चार वरिष्ठ मंत्री इसे महसूस करते हैं.”
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राहुल गांधी ने कहा कि सबसे पहले समझना होगा कि लड़ाई राजनीति को लेकर नहीं है.
उन्होंने एक सिख व्यक्ति की ओर इशारा करते हुए कहा, “लड़ाई इस बात की है कि एक सिख होने के नाते क्या उन्हें भारत में अपनी पगड़ी पहनने की अनुमति मिलेगी. सिख होने के नाते इन्हें भारत में कड़ा पहनने की अनुमति मिलेगी. सिर्फ़ इनके लिए ही नहीं बल्कि सभी धर्मों के लिए ये लड़ाई है.”
“यहां पर तमिलनाडु, पंजाब, हरियाणा, तेलंगाना, आंध्र प्रदेश, केरल और महाराष्ट्र के लोग हैं. ये सिर्फ़ नाम नहीं बल्कि ये इतिहास, भाषा और परंपरा का प्रतिनिधित्व करते हैं. आरएएस क्या कहता है कि ये राज्य, भाषाएं, धर्मा और समुदाय दूसरों से निम्न हैं. हम हर राज्य, परंपरा, धर्म, संस्कृति और भाषा में भरोसा करते हैं जो सभी की तरह बेहद ज़रूरी हैं. तमिलनाडु के किसी शख़्स को अगर कह दिया जाए कि वो तमिल नहीं बोल सकता तो वो कैसा महसूस करेगा. यही आरएसएस की विचारधारा है.”
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बीजेपी ने दिया जवाब
राहुल गांधी के अमेरिका में दिए गए बयान पर भारत में प्रतिक्रिया सुनने को मिली है. बीजेपी नेता और केंद्रीय मंत्री हरदीप सिंह पुरी ने मंगलवार को कांग्रेस नेता राहुल गांधी की निंदा करते हुए कहा कि वो विदेश में देश को लेकर गंभीर नज़रिए को बढ़ावा दे रहे हैं.
राहुल गांधी के सिखों और अलग-अलग धर्म के लोगों की स्वतंत्रता को लेकर दिए गए बयान पर प्रेस कॉन्फ़्रेंस में हरदीप सिंह पुरी ने टिप्पणी भी की.
उन्होंने कहा, “अचानक वो कहते हैं कि सिख समुदाय को भारत में घबराहट है और वो पगड़ी नहीं बांध सकते हैं. मैं 60 सालों से पगड़ी बांध रहा हूं. सिखों के हितों की रक्षा के लिए इस सरकार ने सबकुछ किया है और मुझे नहीं लगता है कि ये कोई मामला है. इतिहास में हमने (सिखों ने) कब घबराहट और असुरक्षा महसूस कि वो तब थी जब राहुल गांधी का परिवार सत्ता में था. 1984 में सिख समुदाय को नरसंहार किया गया जिसमें 3,000 बेकसूर लोग मारे गए. घरों से खींचकर उनके गलों में टायर डालकर उन्हें ज़िंदा जलाया गया.”
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वहीं बीजेपी नेता आरपी सिंह ने भी राहुल गांधी के बयान की निंदा की है. उन्होंने 1984 के सिख विरोधी दंगों का हवाला देते हुए कहा कि ये कांग्रेस के शासनकाल में हुआ था.
उन्होंने राहुल गांधी को चुनौती देते हुए कहा कि वो इस बयान को भारत में दोहराकर दिखाएं तो वो उनके ख़िलाफ़ केस करेंगे और उन्हें अदालत लेकर जाएंगे.
जॉर्जटाउन यूनिवर्सिटी के कार्यक्रम में राहुल गांधी ने वर्तमान में चीन के उत्पादन का ज़िक्र किया था. उन्होंने भारत और चीन की तुलना करते हुए कहा था कि भारत जैसे विशाल देश वैसा उत्पादन नहीं कर सका जैसे चीन कर रहा है.
उनके इस बयान पर बीजेपी सांसद जगदंबिका पाल ने राहुल गांधी को एक ग़ैर ज़िम्मेदार नेता बताया है.
उन्होंने समाचार एजेंसी एएनआई से कहा, “देश के नेता प्रतिपक्ष होने के बावजूद भारत की आलोचना कर रहे हैं. उनको जितनी आलोचना करनी है देश की संसद में करें. ये बात सच्चाई है कि पिछले 10 वर्षों में हम टॉप-5 अर्थव्यवस्था में आए हैं लेकिन उस सयम वो ऐसे बात करते हैं कि जैसे चीन के एजेंट के तौर पर काम कर रहे हों.”
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इससे पहले राहुल गांधी ने क्या कहा था
वॉशिंगटन डीसी से पहले राहुल गांधी ने टेक्सास में एक कार्यक्रम में कई बातें कही थीं जिस पर भी बीजेपी ने प्रतिक्रिया दी थी.
राहुल गांधी ने टेक्सास में एक कार्यक्रम में कहा था, ''आरएसएस मानता है कि भारत ‘एक विचार’ है, जबकि हम मानते हैं कि भारत ‘कई विचारों’ से बना है. हम अमेरिका की तरह मानते हैं कि हर किसी को सपने देखने का अधिकार है, सबको भागीदारी का मौक़ा मिलना चाहिए और यही लड़ाई है.''
उनके इस बयान पर केंद्रीय मंत्री शिवराज सिंह चौहान ने जवाब देते हुए कहा कि राहुल गांधी कुंठाग्रस्त हैं.
उन्होंने कहा, “राहुल जी नेता प्रतिपक्ष हैं और नेता प्रतिपक्ष ज़िम्मेदारी का पद होता है. देश के बाहर कभी भी नेता प्रतिपक्ष ने देश की छवि ख़राब करने की कोशिश नहीं की. लेकिन ये ऐसा नेता हैं जो कुंठाग्रस्त हैं. लगातार तीसरी बार पराजय के कारण उनके मन में अंध बीजेपी, संघ और मोदी विरोध बैठ गया है. और वो विरोध करते करते देश का ही विरोध करने लगे. देश के बाहर कांग्रेस और बीजेपी नहीं होती.”
विदेशी ज़मीन पर राजनीतिक दलों के कड़े सुर
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विदेश में कांग्रेस या अन्य भारतीय राजनीतिक दलों का भारत और अलग-अलग दलों को लेकर कड़ा रुख़ अपनाना क्या दिखाता है. इसको लेकर बीते साल मार्च में बीबीसी हिंदी पर एक स्टोरी प्रकाशित की गई थी.
इस स्टोरी में कांग्रेस पर लंबे अरसे से नज़र रखने वाले वरिष्ठ पत्रकार रशीद किदवई बताते हैं कि पहले विदेश में देश की छवि को लेकर राजनीतिक दल एक हो जाया करते थे.
क़िदवई ने तत्कालीन प्रधानमंत्री नरसिम्हा राव की मिसाल देते हुए कहा कि उन्होंने तब विपक्ष के नेता अटल बिहारी वाजपेयी को संयुक्त राष्ट्र भेजा था ताकि भारत के पक्ष को मज़बूती से रख पाएँ. पहले विदेश में सत्ता और विपक्ष के नेता एक ही बोली बोलते थे.
बीबीसी संवाददाता सलमान रावी से बात करते हुए किदवई ने बताया था, "फिर बतौर प्रधानमंत्री अटल बिहारी वाजपेयी ने भी इसका अनुसरण करते हुए कभी सोनिया गाँधी तो कभी सलमान ख़ुर्शीद को भारत का प्रतिनिधित्व करने के लिए भेजा जबकि वो विपक्ष में थे."
किदवई ये भी कहते हैं कि अब न सिर्फ़ विपक्ष के नेता, बल्कि सत्ता पक्ष के लोग भी विदेशी दौरों के क्रम में अपने राजनीतिक प्रतिद्वंद्वियों की आलोचना करने लगे हैं.
वो कहते हैं कि पिछले कुछ सालों में सत्ता पक्ष के नेता भी विदेशों में जाकर देश पहले प्रधानमंत्री जवाहरलाल नेहरु की आलोचना करते हुए कहते रहे हैं कि पिछले 70 सालों में भारत में कुछ नहीं हुआ था.
जो कुछ हो रहा है या हुआ है वो सिर्फ़ उनके दल यानी बीजेपी की सरकार बनने के बाद संभव हो पाया है.
उनका कहना है, "अब भारत में लोकतंत्र शोरशराबे वाला लोक तंत्र बनने की राह पर है. चाहे सोशल मीडिया हो या फिर एक दूसरे की व्यक्तिगत आलोचना हो. राजनीति का अब यही स्वरूप उभर रहा है जिसमें मर्यादा की सीमा की कोई गुंजाइश ही नहीं नज़र आती है."
बीबीसी के लिए कलेक्टिव न्यूज़रूम की ओर से प्रकाशित
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