दलितों का बायकॉट, मंदिर और दुकानों में एंट्री पर रोक , वजह जान कर हो जायेंगे हैरान
यहां सवर्णों ने कर दिया दलितों का बायकॉट, मंदिर और दुकानों में एंट्री पर रोक; जानें क्या है वजह
यादगीर जिले के एक गांव में सवर्णो ने दलितों का बहिष्कार कर दिया। इसके बाद मंदिरों, दुकानों में उनके जाने पर रोक लगा दी गई। दलित परिवार ने एक सवर्ण युवक पर पॉक्सो ऐक्ट के तहत मुकदमा दर्ज करवाया था।
कर्नाटक के यादगीर में सवर्णों ने दलितों का बहिष्कार कर दिया है। ऐसे में दलितों को मंदिरों और दुकानों में भी एंट्री नहीं मिल रही है। नाई उनके बाल काटने को तैयार नहीं हैं। किराना स्टोर पर वे राशन लेने को भी तरस रहे हैं। मामला यह है कि एक दलित परिवार ने 23 साल के सवर्ण जाति से ताल्लुक रखने वाले युवक पर पॉक्सो ऐक्ट के तहत मुकदमा दर्ज करवाया था। जब सवर्णों ने मुकदमा वापस लेने का दबाव बनाया तो वे तैयार नहीं हुए। इसपर इलाके के सभी दलितों के बहिष्कार का ऐलान कर दिया गया।
पुलिस के मुताबिक 15 साल की दलित लड़की एक युवक के साथ रिलेशनशिप में थी। परिवार का आरोप है कि युवक ने शादी का झांसा देकर लड़की के साथ रेप किया। वहीं जब बात शादी की आई तो वह मुकर गया। अगस्त की शुरुआत में लड़की के परिवार को पता चला कि वह 5 महीने की प्रेग्नेंट है। इसपर लड़की के परिवारवाले युवकर पर शादी का दबाव बनाने लगे। हालांकि कथित तौर पर लड़के के परिवार ने शादी करने से इनकार कर दिया।
इसेक बाद लड़की के परिवारवालों ने पॉक्सो ऐक्ट के तहत केस दर्ज करवा दिया। बता दें कि यादगीर बेंगलुरु से लगभग 500 किलोमीटर की दूरी पर है। शिकायत दर्ज होने के बाद सवर्ण परिवार ने लड़की के परिवार को बातचीत के लिए बुलाया और समझौता करने की कोशिश की। हालांकि दलित परिवार जब केस वापस लेने को तैयार नहीं हुआ तो सवर्णों ने बहिष्कार का ऐलान कर दिया। इससे पहले ही आरोपी को गिरफ्तार कर लिया गया था।
गांव में रहने वाले करीब 250 दलितों पर प्रतिबंध लगा दिए गए। किराना, स्टेशनर की दुकानों, मंदिरों और सार्वजनिक स्थान पर जाने पर प्रतिबंध लगा दिया गया। यादगीर की एसपी संगीता का कहना है कि पुलिस यहां शांति बनाए रखने के लिए डेरा डाले है। वहीं उन्होंने कहा कि स्थिति सामान्य है। उन्होंने गांव के बुजुर्गों से अमानवीय व्यवहार ना करने का आग्रह किया है। उनका कहना है कि गांव वालों ने भी पुलिस की बात मान ली है।
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