गुस्सा है सिस्टम से – जब रेकी की जानकारी थी, तो सुरक्षा क्यों नहीं थी? घटनास्थल पर एक भी सिक्योरिटी फोर्स तैनात नहीं थी। अब राजनीति शुरू हो चुकी है – कोई धर्म पूछ रहा है, कोई जात। इन सबसे सावधान रहिए।
अमरेंद्र कुमार सिंह पहलगाम हमले के दौरान वहीं मौजूद थे। वो लिखते हैं —
कल पहलगाम में जो हुआ, वो सिर्फ एक आतंकी हमला नहीं था, बल्कि इंसानियत पर हमला था।
हम घटना स्थल से महज 300–400 मीटर की दूरी पर थे।
मैं और मोना घोड़े पर सवार थे, तभी अचानक गोलियों की आवाज और चीखते लोगों को देखकर समझ आ गया कि कुछ बहुत गलत हो रहा है।
हमारा घोड़े वाला हमें लेकर वहां से दौड़ पड़ा – जान बची।
हमारा टूर कल से ही शुरू हुआ था, और पहले दिन ही ये हमला हो गया।
अब बाकी का कार्यक्रम रद्द कर के, आज ही वापस लौट रहे हैं।
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दर्द है उन निर्दोष लोगों के लिए जो मारे गए।
कम से कम 3 घोड़े वाले भी मारे गए – जो सिर्फ रोज़ी-रोटी कमाने निकले थे।
गुस्सा है सिस्टम से – जब रेकी की जानकारी थी, तो सुरक्षा क्यों नहीं थी?
घटनास्थल पर एक भी सिक्योरिटी फोर्स तैनात नहीं थी।
अब राजनीति शुरू हो चुकी है –
कोई धर्म पूछ रहा है, कोई जात।
इन सबसे सावधान रहिए।
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हजारों लोग बचे – सिर्फ लोकल लोगों की मदद से।
घोड़े वाला, होटल वाला, ड्राइवर – सबने दिल से साथ दिया।
कई लोगों ने पैसे तक नहीं लिए।
इंसानियत ज़िंदा थी।
और वहीं कुछ गिद्ध लोग मौके का फायदा उठाते रहे –
श्रीनगर से दिल्ली की दो टिकटों के 38000 रुपए लगे।
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आतंकवाद के खिलाफ लड़ाई हर हाल में जारी रहनी चाहिए।
हमें एकजुट रहना होगा।
जो चले गए, ईश्वर उन्हें शांति दे।
विनम्र श्रद्धांजलि।
सावधान रहिएगा – राजनीति चालू आहे।
#PahalgamTerroristAttack #घोरकलजुग
शिखा सिंह
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