कोरोना लॉकडाउन: किन 'जुगाड़ों' से बिहार पहुंच रहे हैं मज़दूर सीटू तिवारी पटना से, बीबीसी हिंदी के लिए इस पोस्ट को शेयर करें Facebook इस पोस्ट को शेयर करें WhatsApp इस पोस्ट को शेयर करें Messenger साझा कीजिए इमेज कॉपीरइट MAYANK "भूख से मरना है तो दिल्ली में क्यों मरें? यहां कुटुम्ब (परिवार) के पास मरेंगें." बीबीसी से फ़ोन पर बात करते हुए राजकुमार राम की कांपती हुई आवाज़ में उनके आंसू घुले हुए थे. राजकुमार राम, सहरसा के नवहट्टा प्रखंड की केचुली पंचायत के हैं. वो दिल्ली की चांदनी चौक की इलेक्ट्रॉनिक दुकान में बीते कई सालों से मज़दूरी कर रहे हैं. लेकिन कोरोना संकट में जब लॉकडाउन हुआ तो वो जुगाड़ गाड़ी (ऐसा ठेला जिसमें इंजन लगा रहता है) से वापस चले आए. उन्हें सहरसा वापस आने में पांच दिन लग गए हैं, लेकिन अभी उन्हें अपने ही गांव के अंदर घुसने के लिए एक और लड़ाई लड़नी है. इमेज कॉपीरइट SEETU TIWARI/BBC Image caption जुगाड़ के ज़रिए घर पहुंचने की कोशिश करता एक मज़दूर 2500 का तेल, बिस्कुट-पानी पर जीवन दिल्ली से सहरसा की दूर...