पता करें कि चेहरा छूने की ज़रूरत कब होती है? बिहेवियरल साइंस विशेषज्ञ इस बात की सलाह भी देते हैं कि हमें ये पता करना चाहिए कि हम अपने चेहरों को क्यों छूते हैं. हॉलस्वर्थ इसे समझाते हुए कहते हैं, "अगर हम उन स्थितियों को पहचान जाएं जब हमें चेहरा छूने की ज़रूरत महसूस होती है तो हम ऐसे मौक़ों पर ज़रूरी क़दम उठा सकते हैं. जो लोग अपनी आंखों को छूते हैं, वे धूप का चश्मा पहन सकते हैं, या जब लगे कि अब वे चेहरा छूने जा रहे हैं तो हाथों को दबाया जा सकता है. उदाहरण के लिए, हम अपने हाथों को व्यस्त रखने के तरीक़ों का सहारा ले सकते हैं. इसमें मुलायम गेंदों जैसे खिलौनों का इस्तेमाल कर सकते हैं जिनसे हाथ व्यस्त रहते हैं. लेकिन आपको उन्हें अक्सर कीटाणुरहित करना पड़ सकता है. इसके साथ-साथ आप ख़ुद को याद दिलाने के लिए नोट भी बना सकते हैं. हॉलस्वर्थ मानते हैं, "अगर कोई जानता है कि उनकी एक आदत ऐसी है जिसे वे चाहकर भी नहीं रोक पाते हैं तो वे अपने दोस्तों या रिश्तेदारों को ऐसा करने पर टोकने के लिए कह सकते हैं." दस्ताने कैसे विकल्प हैं? लेकिन एक सवाल ये उठता है कि क्या ख़ुद को याद दिलाने के लिए दस्ताने पहने जाने चाहिए? इसका आसान जवाब है कि ये एक ग़लत तरीक़ा है, जब तक कि दस्तानों को बार-बार साफ़ करके कीटाणुमुक्त ना किया जाए, नहीं तो वे भी हानिकारिक बन जाएंगे.
कोरोना वायरस से बचने के लिए मास्क पहनना क्यों ज़रूरी है? फ़र्नान्डो दुआरते बीबीसी वर्ल्ड सर्विस इस पोस्ट को शेयर करें Facebook इस पोस्ट को शेयर करें WhatsApp इस पोस्ट को शेयर करें Messenger साझा कीजिए इमेज कॉपीरइट GETTY IMAGES इंसानों को जानवरों से अलग करने वाली चीज़ों में एक चीज़ ये भी है कि बीमारियों के फैलने की स्थिति में इंसान अपनी सुरक्षा के लिए चिंतित रहते हैं. इंसान सिर्फ़ एक ऐसी जाति है जो कि बिना जाने अपने हाथों से चेहरे छूने के लिए जानी जाती है. ये चीज़ नये कोरोनावायरस (कोविड-19) जैसी बीमारियों को फैलने में मदद करती है. लेकिन हम ये क्यों करते हैं और क्या हम अपनी इस आदत को रोक सकते हैं. ' चेहरा छूने की आदत ' null और ये भी पढ़ें क्या महिलाओं और बच्चों को कोरोना वायरस का ख़तरा कम है कोरोना वायरस: दिल्ली में सामने आया एक और मामला कोरोना वायरस को लेकर भारतीय ज़रूर जानें ये नौ बातें कोरोना वायरसः इंफ़ेक्शन से बचने के लिए क्या करें, क्या न करें null. हम सब दिन में कई बार अपना चेहरा छूते हैं. साल 2015 में ऑस्ट्र...