2 जनवरी 2020 इस पोस्ट को शेयर करें Facebook इस पोस्ट को शेयर करें WhatsApp इस पोस्ट को शेयर करें Messenger साझा कीजिए इमेज कॉपीरइट FATCAMERA आपको याद होगा बचपन में स्कूल से जो होमवर्क मिलता था, अक्सर उसमें स्कूल में किए गए काम को ही फिर से लिख कर लाने को कहा जाता था. ज़हन सवाल करता था कि, जो काम हम कर चुके हैं उसे फिर से करने का क्या मतलब? लेकिन हमारे अध्यापक और घर के बुज़ुर्ग कहते थे दोबारा लिखने से सबक़ हमेशा के लिए याद रहेगा. शब्द बार-बार लिखने से ज़हन में बस जाएंगे. नई तकनीक के आगे, पढ़ने-लिखने का वो तरीक़ा पुराना हो गया है. आज स्कूल में कॉपी, क़लम की जगह बच्चे लैपटॉप और पैड लेकर जाते हैं. ज़ाहिर तौर हम इसे बदलते दौर का अच्छा और नया अंदाज़ मान सकते हैं लेकिन क्या वास्तव में नई तकनीक की मदद से पढ़ने का ये अंदाज़ छात्रों के लिए मुफ़ीद है? 2014 में अमरीका की प्रिंस्टन यूनिवर्सिटी में एक तजुर्बा किया गया. इसमें लेक्चर के नोट तैयार करने के लिए आधे छात्रों को काग़ज़ क़लम दिए गए और बाक़ी आधे छात्रों को लैपटॉप. null आपको ये भी रोचक लगेगा ज़