"पाकिस्तान ज़िंदाबाद कहना राजद्रोह नही है. राजद्रोह तो दूर की बात, यह कोई गुनाह भी नहीं है, जिसके आधार पर पुलिस गिरफ़्तार कर ले." दवे कहते हैं, "पड़ोसी देशों से अच्छे संबंध की बात संविधान में कही गई है. जिन्हें लगता है कि पाकिस्तान से नफ़रत ही देशभक्ति है वो भारत को नेशन-स्टेट के तौर पर नहीं समझते हैं. किसी एक देश से नफ़रत इतने बड़े मुल्क के प्रति वफ़ादारी का सबूत नहीं हो सकता. भारत के संविधान में भी इसकी कोई जगह नहीं है."
पाकिस्तान ज़िंदाबाद के नारे लगाना राजद्रोह है या नहीं? रजनीश कुमार बीबीसी संवाददाता इस पोस्ट को शेयर करें Facebook इस पोस्ट को शेयर करें WhatsApp इस पोस्ट को शेयर करें Messenger साझा कीजिए इमेज कॉपीरइट GETTY IMAGES 20 फ़रवरी को 19 साल की छात्रा अमूल्या लियोना ने बेंगलुरु में सीएए और एनआरसी के ख़िलाफ़ आयोजित विरोध-प्रदर्शन में पाकिस्तान ज़िंदाबाद का नारा लगाया था. अमूल्या को बात पूरी करने का मौक़ा नहीं दिया गया और उसे मंच से खींचकर हटा दिया गया. बाद में उन पर राजद्रोह यानी आईपीसी की धारा 124-A लगा दी गई और अभी वो पुलिस हिरासत में हैं. अमूल्या का पूरा वीडियो देखने पर पता चलता है कि वो इस नारे को समझाने की कोशिश कर रही हैं लेकिन किसी ने उनकी नहीं सुनी, साथ ही इस बात को नज़रअंदाज़ कर दिया गया कि वे भारत ज़िंदाबाद के नारे भी लगा रही थीं. लेकिन क्या 'पाकिस्तान ज़िंदाबाद' के नारे लगाना राजद्रोह है और पाकिस्तान मुर्दाबाद कहना देशभक्ति का सबूत? विज्ञापन सुप्रीम कोर्ट के वरिष्ठ वकील दुष्यंत दवे कहते हैं, "पाकिस्तान ज़िंदाबाद कहन...