असम में एनआरसीः 'परिवार भारतीय है तो मैं अकेले विदेशी कैसे हो सकती हूँ?'
प्रियंका दुबे बीबीसी संवाददाता इस पोस्ट को शेयर करें Facebook इस पोस्ट को शेयर करें WhatsApp इस पोस्ट को शेयर करें Messenger साझा कीजिए अब्दुल मजीद और उनके बेटे मुबारक़ हुसैन के परिवार के लिए एनआरसी की फ़ाइनल लिस्ट दुखों और निराशा का पहाड़ लेकर आई है. असम के बक्सा ज़िले के काटाझार गांव में रहने वाले इस परिवार के कुल 7 सदस्यों के नामों को एनआरसी में रिजेक्ट कर दिया गया है. परिवार की नागरिकता से जुड़े काग़ज़ों का एक थैला हाथ में लिए मजीद मायूसी से बताते हैं, "एनआरसी में अपना वजूद साबित करने के लिए हम सभी भाई-बहनों ने अपने पिता के ज़मीन के काग़ज़ात का इस्तेमाल किया था." Image caption अब्दुल मजीद "मेरे बाक़ी भाई-बहनों और उनके पूरे परिवारों का नाम लिस्ट में शामिल है. लेकिन ज़मीन के उन्हीं काग़ज़ात को मेरी ऐप्लिकेशन में रद्द करते हुए मुझे, मेरी पत्नी और मेरे पाँच बच्चों के नाम एनआरसी से बाहर कर दिए गए हैं." उनके बड़े बेटे मुबारक़ हुसैन अपना वोटर आईडी, पैन कार्ड और स्कूल पास करने के सर्टिफ़िकेट दिखाते हुए कहते हैं कि आगे फ़...