कोरोना का इलाज || उस रात डॉक्टर साहब को कोई इंजेक्शन लगाया गया, लेकिन हमें नहीं बताया कि कौन सा इंजेक्शन है. पूछने पर भी नहीं बताया. दूसरे दिन सुबह फिर इंजेक्शन लगा दिया. वहाँ रात में हमने जो देखा, वो बेहद डरावना था. रात भर मरीज़ चिल्लाते रहते थे. कोई उन्हें देखने वाला नहीं था. बीच-बीच में जब नर्स आती थी या डॉक्टर आते थे, तो डाँटकर चुप करा देते थे या कोई इंजेक्शन दे देते थे. उनमें से कई लोग सुबह सफ़ेद कपड़े में लपेटकर बाहर कर दिए जाते थे, यानी उनकी मौत हो चुकी होती थी."
कोरोना: प्रयागराज के एक अस्पताल में पढ़ा चुके डॉक्टर ने कैसे बेबसी में तोड़ा दम समीरात्मज मिश्र बीबीबी हिंदी के लिए 27 मिनट पहले इमेज स्रोत, SAMIR ATMAJ MISHRA/BBC " इलाहाबाद शहर के जिस स्वरूपरानी अस्पताल में पाँच दशक तक मेरे पति ने लोगों का इलाज किया और जिनके पढ़ाए हुए तमाम डॉक्टर इसी अस्पताल में हों, उन्हें इस कोविड बीमारी की वजह से एक डॉक्टर तक देखने वाला न मिला और मेरे सामने उन्होंने दम तोड़ दिया. डॉक्टर होने के बावजूद, मैं ख़ुद उनकी कोई मदद न कर सकी." प्रयागराज की नामी डॉक्टर रमा मिश्रा फ़ोन पर यह बताते हुए रो पड़ती हैं. उनकी बेबसी सिर्फ़ इसी बात को लेकर नहीं है कि उनके पति ने उनकी आँखों के सामने अस्पताल की कथित लापरवाही, डॉक्टरों और कर्मचारियों की उपेक्षा और संसाधनों के अभाव में दम तोड़ दिया, बल्कि इसलिए भी है कि उन चार रातों में उन्होंने इसी तरह दम तोड़ते हुए दर्जनों लोगों को देखा. कोरोनाः एक सप्ताह में कैसे बद से बदतर हो गए राजस्थान के हालात कोरोना: लखनऊ में हालात कैसे हो गए बेक़ाबू, कहाँ हुई चूक विज्ञापन 80 वर्षीया डॉक्टर रमा मिश्रा प्रयागराज की चर्चित महिला रोग वि...