जंगे आज़ादी में आर एस एस ने हिस्सा नहीं लिया वह उस दौरान अह आने कल को बनाने में मशरूफ रही मुसलमानों ने जंगे आज़ादी में बढ़ चढ़ कर हिस्सा लिया जान व माल की कुर्बानियां दिन । आज आर एस मुसलामानों को मुल्क से वफादारी का सबक सिखला रही है । हमारे खून की रंगत भी उसमें शामिल हैं । ये कैसे कहते हो गुलशन फ़क़त तुम्हारा है ।
शमी अहमद कुरैशी , मुंबई । मुल्क की अक्सरियत पशंद गुजरात मॉडल नहीं , सेकुलरिज्म मौजूदा ज़माना जम्हूरियत ( लोकतंत्र ) का है । यहाँ अवाम के जरिये अवाम की हुकूमत बनती है हमारे मुल्क हिंदुस्तान में " सेक्युलर जम्हूरियत है " मुल्क के मुजाहिदीने आज़ादी ( freedom fighters) और बुज्रुगों ने मुल्क का नेजाम (सिस्टम)चलाने के लिए जो दस्तूर और संविधान बनाया । उसमें सेक्युलर जम्हूरियत को इन्तेहाई अहमियत दी ।दस्तूर की आर्टिकल 14 , 15 , 16 के तेहत मुल्क के हर शहरी को जिन्दा रहने का बिना इम्तियाज़ ( भेद भाव )मजहब व जुबान या किसी भी भेद भाव के बराबरी का सलूक और दस्तूर की आर्टिकल 35 के तेहत हर शहरी को मजहबी आज़ादी हासिल है । हमारे मूलमुल्क की बहुत बड़ी आबादी मुत'अद्दद मजाहिब (अनेक धर्मों ) जुबान ( अनेक भाषाओं ) और मुत'अद्दद सकाफतों और तमद्दुनों ( विभिन सांस्कृतिक ) पर आधारित है । यहाँ सैकड़ों सालों से कसरत में वहदत है ( अनेकता में एकता ) है । मगर बद्किश्मती से हमारे मुल्क में 90 सालों से एक जमात ( संगठन ) आर एस एस ...