पीटीआई पर नियंत्रण यानी ख़बरों पर लगाम कसने की सरकारी कोशिश?
सीमा चिश्ती वरिष्ठ पत्रकार, बीबीसी हिंदी के लिए इस पोस्ट को शेयर करें Facebook इस पोस्ट को शेयर करें WhatsApp इस पोस्ट को शेयर करें Messenger साझा कीजिए इमेज कॉपीरइट PTI NEWS देश की सबसे नामी न्यूज़ एजेंसी 'प्रेस ट्रस्ट ऑफ़ इंडिया' (पीटीआई) ने उन रिपोर्टों पर संक्षिप्त शब्दों में खंडन जारी किया जिनमें ये कहा गया था कि 'लीज़ एग्रीमेंट की शर्तों को तोड़ने' के लिए एजेंसी को '84 करोड़ रुपये का बिल' भेजा गया है. पीटीआई की ओर से बयान जारी किया जाना कोई आम बात नहीं है. पीटीआई ने कहा कि 'डिमांड नोटिस' का ग्राउंड फ़्लोर के किराये से कोई लेना-देना नहीं है और वो किराये का भुगतान नहीं करता है, बल्कि किराया वसूल करता है. 15 जुलाई के अपने बयान में पीटीआई ने इस बात से भी इनकार किया है कि प्रसार भारती ने एजेंसी के निदेशक मंडल में अपने लिए सीट की माँग की है. विज्ञापन भारत को आज़ादी मिलने के 12 दिनों बाद ही प्रेस ट्रस्ट ऑफ़ इंडिया की स्थापना हुई थी. दुनिया में पीटीआई जैसी केवल दो न्यूज़ एजेंसियां हैं जो आर्थिक लाभ के लिए संचालित ...