महात्मा गांधी की हत्या की छह कोशिशों की कहानी
मधुकर उपाध्याय बीबीसी हिंदी के लिए इस पोस्ट को शेयर करें Facebook इस पोस्ट को शेयर करें WhatsApp इस पोस्ट को शेयर करें Messenger साझा कीजिए इमेज कॉपीरइट UNIVERSAL HISTORY ARCHIVE/GETTY IMAGES महात्मा गांधी की ज़िंदगी एक खुली किताब की तरह थी. बहुत सारी चीज़ें उसमें होती रहती थीं और बहुत सारी चीज़ें लोगों की नज़र में रहती थीं. इसलिए उनसे कोई काम छिपाकर करना या खुद गांधी जी का कोई काम छिपकर करना, बिना किसी को इत्तीला किए करना, ये मुमकिन था ही नहीं. ये गांधी जी की जो नीति थी, उसके हिसाब से बिलकुल ठीक था. उनके ऊपर छह बार जानलेना हमले हुए. पहला हमला 1934 में पुणे में हुआ था. जब एक समारोह में उनको जाना था, दो गाड़ियां आईं, लगभग एक जैसी दिखने वाली. एक में आयोजक थे और दूसरे में कस्तूरबा और महात्मा गांधी यात्रा करने वाले थे. जो आयोजक थे, जो लेने आए थे, उनकी कार निकल गई और बीच में रेलवे फाटक पड़ता था. महात्मा गांधी की कार वहां रुक गई. null और ये भी पढ़ें गणतंत्र दिवस परेड में जब बमवर्षक विमानों ने दी थी पहली सलामी कहानी मह...