राजद्रोह जैसा आरोप लगाना कुछ ज्यादा नहीं है?
Ravish Kumar बंगलुरू की एक सभा में 19 साल की लड़की ने पाकिस्तान को ज़िंदाबाद क्या कहा, मंच पर देखिए कि कैसे घबराहट मच गई. ऐसा लगा कि धरती फट गई है. अमूल्या लियोना नरोहना को कोई खींचने लगा तो कोई माइक छिनने लगा. वो अपनी बात पूरी नहीं कर सकी. Published : February 21, 2020 23:38 IST एक छोटी सी कहानी सुनाना चाहता हूं. यह कहानी आपको याद दिलाएगी कि हम कहां से कहां आ गए हैं. यह हालत हो गई है कि उस मुल्क का नाम सुनते ही इस मुल्क के होश उड़ने लगे हैं. जो अधिकारी अपना काम शायद ही कभी ठीक से कर पाते हों वो तुरंत केस दर्ज कर हीरो बन जाते हैं. राजद्रोह ही लगता है इस वक्त का सबसे प्रचलित अपराध है. पब्लिक लड़की के घर भी चली जाती है और पत्थर मारने लगती है. हम बंगलूरू की अमूल्या को लेकर ही बात करना चाहते हैं लेकिन पहले उस छोटी सी कहानी को सुनाना चाहता हूं. कहानी यह है कि 30 जनवरी 1948 को महात्मा गांधी की हत्या के 9 महीने बाद संविधान सभा की पहली बैठक होती है. गांधी जी की हत्या के तीन दिन पहले 27 जनवरी को संविधान सभा की बैठक हुई थी. उसके बाद 9 महीने बाद संविधान सभा की अग...