विदेशों से भारतीयों को निकाल दिया जाए तब अमित शाह क्या करेंगे? प्रधानमंत्री जस्टिन ट्रूडो या राष्ट्रपति ट्रंप ऐलान कर दें कि जो भी लोग 1971 के बाद से अमरीका, कनाडा या ब्रिटेन में आबाद हुए उन्हें दोबारा से नागरिकता के लिए आवेदन करना होगा, नहीं तो उन्हें निकलना होगा. ऐसी नीति अगर घोषित होती है तो भारतीय गृह मंत्री अमित शाह इस पर क्या प्रतिक्रिया देंगे. स्वागत करेंगे, निंदा करेंगे या फिर चुप्पी साध लेंगे? - वुसत का ब्लॉग
2 सितंबर 2019 इस पोस्ट को शेयर करें Facebook इस पोस्ट को शेयर करें WhatsApp इस पोस्ट को शेयर करें Messenger साझा कीजिए इमेज कॉपीरइट GETTY IMAGES ठीक 47 साल पहले सात अगस्त 1972 को युगांडा के तानाशाह ईदी अमीन ने आदेश दिया कि देश में कई पीढ़ियों से आबाद 80 हज़ार के लगभग एशियाई लोग 90 दिन में यहां से निकल जाएं, वर्ना उनकी ज़मीन-ज़ायदाद और पूंजी ज़ब्त कर ली जाएगी. और जो एशियन देश में रहना चाहते हैं, उन्हें फिर से नागरिकता के लिए आवेदन करना पड़ेगा और ऐसे हर आवेदन का फ़ैसला जांच के बाद मैरिट पर होगा. इनमें से ज़्यादातर की युगांडा में दूसरी या तीसरी पीढ़ी थी और इन्होंने तसव्वुर भी नहीं किया था कि यहां से ऐसे निकाले जाएंगे. ईदी अमीन ने अग्रेज़ी शासन के वक़्त से आबाद एशियन आबादी में एक बड़ी संख्या गुजराती कारोबारियों की थी. उन्हें अचानक देश से कान पकड़कर निकालने का मुख्य कारण ये बताया गया कि ये एशियन ना तो युगांडा के वफ़ादार हैं और ना ये स्थानीय अफ़्रीकी की लोगों से घुलना-मिलना चाहते हैं. इनका एक ही मक़सद है, कारोबार के बहाने अफ़्रीकियों की जे...