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तालिबान के साथ भारत का रुख़ कैसा रहेगा?
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अफ़ग़ानिस्तान की अशरफ़ ग़नी सरकार और अमेरिका का साथी भारत भी आज ख़ुद को अजीब स्थिति में पा रहा है. जहाँ एक ओर चीन और पाकिस्तान, तालिबान से अपनी दोस्ती के चलते काबुल के नए घटनाक्रम को लेकर थोड़े आश्वस्त दिख रहे हैं, वहीं भारत फ़िलहाल अपने लोगों को आनन-फ़ानन में काबुल से निकालने में लगा हुआ है. तालिबान को आधिकारिक तौर पर भारत ने कभी मान्यता नहीं दी, लेकिन इस साल जून में दोनों के बीच 'बैकचैनल बातचीत' की ख़बरें भारतीय मीडिया में छाई रहीं. भारत सरकार ने "अलग-अलग स्टेकहोल्डरों" से बात करने वाला एक बयान ज़रूर दिया, ताकि मामले को तूल देने से रोका जा सके. स्टोरी: सरोज सिंह आवाज़: नवीन नेगी वीडियो एडिटिंग: दीपक जसरोटिया ( बीबीसी हिन्दी के एंड्रॉएड ऐप के लिए आप यहां क्लिक कर सकते हैं. आप हमें फ़ेसबुक , ट्विटर , इंस्टाग्राम और यूट्यूब पर फ़ॉलो भी कर सकते हैं.)
तालिबान जहां-जहां जा रहा है भारत भी उन देशों से क्यों संपर्क कर रहा है?
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दिलनवाज़ पाशा बीबीसी संवाददाता, दिल्ली 11 जुलाई 2021, 06:54 IST इमेज स्रोत, @DRSJAISHANKAR इमेज कैप्शन, ईरान के विदेश मंत्री जवाद ज़रीफ़ (दाएं) के साथ भारतीय विदेश मंत्री एस जयशंकर (बाएं) अफ़ग़ानिस्तान में हाल के दिनों में जिस तरह तालिबान का क़ब्ज़ा नए इलाक़ों पर हो रहा है उसे लेकर भारत के राजनयिक हलकों में चिंता है. भारतीय विदेश मंत्री एस जयशंकर के गुरुवार की ईरान यात्रा को इसी से जोड़कर देखा जा रहा है. एस जयशंकर ने तेहरान में नव-निर्वाचित राष्ट्रपति इब्राहिम रईसी से मुलाक़ात की और उन्हें प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी का संदेश भी दिया. जिस दिन भारतीय विदेश मंत्री तेहरान में थे उसी दिन अफ़ग़ानिस्तान सरकार और तालिबान का एक प्रतिनिधि मंडल भी वहां मौजूद था. जयशंकर बाद में जब रूस पहुंचे तो वहां भी तालिबान के नुमाइंदे मौजूद थे. हालांकि भारत की तरफ़ से इस मामले पर किसी तरह का आधिकारिक बयान नहीं आया है. ईरान की सीमा तक पहुंचा तालिबान, चौकियों पर किया क़ब्ज़ा तालिबान रूस क्यों गया और इस्लामिक स्टेट को लेकर क्या वादा किया? मीडिया में पहले भी भारत और तालिबान में अनौपचारिक बातचीत की ख़बरें आती ...
क्यों टेंशन में है #Pakistan ?
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BBC News , हिंदी सामग्री को स्किप करें सेक्शन होम पेज कोरोनावायरस भारत विदेश मनोरंजन खेल विज्ञान-टेक्नॉलॉजी सोशल वीडियो विज्ञापन पाकिस्तान तालिबान की बढ़ती रफ़्तार से क्यों चिंतित है? कमलेश मठेनी बीबीसी संवाददाता इमेज स्रोत, AFP/ GETTY IMAGES इमेज कैप्शन, तालिबानी नेता अफ़ग़ानिस्तान से अमेरिकी सेना की वापसी के साथ ही वहां तालिबान का प्रभाव बढ़ता जा रहा है. पिछले कुछ हफ़्तों में अफ़ग़ानिस्तान के कई ज़िलों पर तालिबान ने कब्ज़ा कर लिया है. इसे लेकर संयुक्त राष्ट्र ने भी चिंता जताई थी. अफ़ग़ानिस्तान से अमेरिकी सेना की वापसी की शुरुआत एक मई के बाद से हो गई है और तब से ही तालिबान ने सरकारी सेना के ख़िलाफ़ अपना अभियान तेज़ कर दिया था. अफ़ग़ानिस्तान में तालिबान के बढ़ते क़दम पड़ोसी देश पाकिस्तान के लिए भी चिंता का सबब बन गए हैं. छोड़िए YouTube पोस्ट, 1 वीडियो कैप्शन चेतावनी: तीसरे पक्ष की सामग्री में विज्ञापन हो सकते हैं. पोस्ट YouTube समाप्त, 1 पाकिस्तान के विदेश मंत्री शाह महमूद कुरैशी ने रविवार को कहा कि अमेरिका की वापसी के बाद अगर अफ़ग़ानिस्तान में हिंसा और अराजकता का माहौल बनता...