ज़ुल्फ़िकार अली भुट्टो शासन के आख़िरी दिनों की कहानी - विवेचना
रेहान फ़ज़ल बीबीसी संवाददाता इमेज स्रोत, GETTY IMAGES जैसे ही भुट्टो ने पाकिस्तान के राष्ट्रपति का पद सँभाला, उन्होंने राष्ट्रपति याह्या ख़ाँ को उनके घर में नज़रबंद कर दिया और जनरल गुल हसन से कहा कि वो सेना का नेतृत्व करें. इसके बाद उन्होंने सेना, नौसेना और वायुसेना के 44 वरिष्ठ अधिकारियों को ये कहते हुए बर्ख़ास्त कर दिया कि 'वो मोटे हो चले हैं और उनकी तोंद निकल आई है.' पूर्वी पाकिस्तान में हार ने पाकिस्तानी सेना को बैक फ़ुट पर ला दिया था और ज़ुल्फ़िकार अली भुट्टो ने इसका पूरा फ़ायदा उठाया. थोड़े दिनों बाद जनरल गुल हसन भी उनके दिल से उतर गए और उन्हें ऐसे सेनाध्यक्ष की ज़रूरत पड़ गई जो आँख मूँद कर उनके हर हुक्म का पालन कर सके. ओवेन बैनेट जोंस अपनी किताब 'द भुट्टो डायनेस्टी स्ट्रगल फ़ॉर पॉवर इन पाकिस्तान' में लिखते हैं, "भुट्टो ने गुल हसन की बर्ख़ास्तगी का आदेश अपने स्टेनोग्राफ़र से टाइप न करा कर अपने एक वरिष्ठ सहयोगी से टाइप करवाया. जनरल गुल हसन की बर्ख़ास्तगी का आदेश जारी करवाने के बाद उन्होंने अपने विश्वस्नीय साथी ग़ुलाम मुस्तफ़ा खार को जनरल गुल हसन के साथ लाहौर...