कोरोना वायरस: मध्य प्रदेश के मज़दूरों का दर्द- कुछ भी खाकर भूख मार लेंगे लेकिन बच्चों का क्या
शुरैह नियाज़ी मध्य प्रदेश से बीबीसी हिंदी के लिए इस पोस्ट को शेयर करें Facebook इस पोस्ट को शेयर करें WhatsApp इस पोस्ट को शेयर करें Messenger साझा कीजिए इमेज कॉपीरइट S NIAZI Image caption 24 साल के अजय कोल रीवा ज़िले के सेमरिया तहसलील के बभनी गांव के रहने वाले हैं कोरोना वायरस के संक्रमण को देखते हुए 21 दिन के लॉकडाउन की वजह से हर बड़े शहरों से मज़दूरों का पलायन हो रहा है. मध्य प्रदेश जैसे राज्य से हज़ारों की तादाद में ग़रीब मज़दूर हर साल काम की तलाश में मुंबई, दिल्ली जैसे बड़े शहरों का रुख करते है. लेकिन लॉकडाउन की वजह से जहां हज़ारों मज़दूर पैदल ही अपने घरों की तरफ चल पड़े है तो कई को ठेकेदारों ने हालात को भांप कर पहले ही जगह छोड़ने के लिए मजबूर कर दिया. ऐसे ही मुंबई से लौटे एक मज़दूर से बीबीसी ने बात की. 24 साल के अजय कोल रीवा ज़िले के सेमरिया तहसलील के बभनी गांव के रहने वाले हैं. अजय कोल के परिवार में माता, पत्नी और 2 साल का एक बेटा है. हर साल कम से कम 5-6 महीने के लिए इन्हें परिवार चलाने के लिए अपना गांव छोड़ना पड़ता है. इमे...