कोरोना वायरस से संक्रमण की जांच इतनी मुश्किल क्यों है ?लैब में काम करने वाले भी खांस या छींक सकते हैं. इससे ना सिर्फ़ वहां काम करने वाले, बल्कि वहां रखे सैम्पल भी संक्रमित हो सकते हैं. इसका नतीजा ये भी हो सकता है कि जिस मरीज़ के सैम्पल निगेटिव हैं, वो लैब कर्मचारी के खांसने से संक्रमित होकर पॉज़िटिव हो जाए. लैब में बिल्कुल सही ढंग से जांच कराने के लिए तजुर्बेकार लैब इंचार्ज की बहुत ज़रूरत है. लेकिन बदक़िस्मती से बहुत से देशों में ऐसे लैब इंचार्ज की भारी कमी है.
कोरोना वायरस से संक्रमण की जांच इतनी मुश्किल क्यों है? 3 मई 2020 इस पोस्ट को शेयर करें Facebook इस पोस्ट को शेयर करें WhatsApp इस पोस्ट को शेयर करें Messenger इस पोस्ट को शेयर करें Twitter साझा कीजिए इमेज कॉपीरइट GETTY IMAGES दुनिया भर में कोविड-19 के मरीज़ों की संख्या तेज़ी से बढ़ रही है. अगर कोरोना वायरस के संक्रमण को कम करना है, तो इसके लिए ज़्यादा से ज़्यादा जांच करना ज़रूरी है. इसी से पता चलेगा कि अभी तक कितने लोग संक्रमित हैं. कितने लोगों पर वायरस अपनी मज़बूत पकड़ बना चुका है. कितने लोगों को अलग रखना है. इस काम में सबसे बड़ी बाधा टेस्ट किट की कमी है. हर देश का हाल एक जैसा है. अगर दूसरे देशों से टेस्टिंग किट और अन्य मेडिकल उपकरण मंगवा भी लिए जाएं, तो समय पर उनका पहुंचना और सैम्पल जमा करना भी एक बड़ी चुनौती है. साथ ही हर एक को कोरोना टेस्ट करने की समझ भी नहीं है. अभी तक देखा गया है कि जिन देशों ने भी कोरोना का टेस्ट करने में तेज़ी दिखाई है, वहीं पर इसका संक्रमण कम हुआ है. दक्षिण कोरिया ने 20 जनवरी को...