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वीके सिंह का बयान पर चीन || फ़ारूक़ी रिहा हुए, लेकिन चार अभी भी जेल में || सरकार की बात न मानने पर ट्विटर को झेलने पड़ सकते हैं मुक़दमे

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  चीन ने वीके सिंह के बयान की आड़ में भारत पर साधा निशाना - प्रेस रिव्यू 9 फ़रवरी 2021, 08:01 IST इमेज स्रोत, GREG BAKER/GETTY IMAGE चीन ने केंद्रीय मंत्री जनरल (रिटायर्ड) वीके सिंह के एक बयान को आधार बनाते हुए भारत पर निशाना साधा है. चीन का कहना है कि भारत बार-बार एलएसी का उल्लंघन कर रहा है और इससे सीमा पर टकराव की स्थिति पैदा हो रही है. चीन के विदेश मंत्री के प्रवक्ता वांग वेन्बिन ने वीके सिंह के बयान को भारत की ओर 'अनजाने में स्वीकार' कर लेने वाले बताया है. चीनी विदेश मंत्री के प्रवक्ता ने कहा "हम भारत से आग्रह करते हैं कि दोनों देश आपसी सहमति से जिस समझौते पर पहुँचे हैं उसे ईमानदारी से लागू करें और सीमावर्ती क्षेत्रों में शांति और स्थिरता की रक्षा के लिए कदम उठाएं." ख़बरों के अनुसार, मदुरै में वीके सिंह ने एक बयान में कहा था- "आप लोग जानते नहीं है कि हमने कितनी बार अतिक्रमण किया है. मैं आपको आश्वस्त करता हूँ, अगर चीन ने 10 बार अतिक्रमण किया है, तो हमने कम से कम 50 बार किया होगा." छोड़कर और ये भी पढ़ें आगे बढ़ें और ये भी पढ़ें मुनव्वर फ़ारूक़ी की रिहाई सु...

मज़बूत चीन या मज़बूत भारत, नेपाल के पूर्व पीएम किसके पक्ष में?

  नेपाल के पूर्व प्रधानमंत्री बाबूराम भट्टराई और उनकी पत्नी हिसिला यमी ने वहां की राजनीतिक उठापटक को लेकर बातचीत की. इसके अलावा जब उनसे पूछा गया कि मज़बूत भारत या मज़बूत चीन में से वो कौन सा विकल्प चुनना चाहते हैं, तो उन्होंने मज़बूत नेपाल की बात कही. भट्टराई ने चीन की विदेश नीति को लेकर भी अपनी राय रखी. रिपोर्टर: रजनीश कुमार, बीबीसी हिंदी कैमरामैन: कमल परियार, बीबीसी नेपाली

श्रीलंका में भारत को लगा झटका क्या चीन की वजह से है?

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  सरोज सिंह बीबीसी संवाददाता, दिल्ली इमेज स्रोत, TWITTER/@MEAINDIA इमेज कैप्शन, श्रीलंका के पीएम महिंदा राजपक्षे और भारत के पीएम नरेंद्र मोदी पड़ोसी देशों के साथ भारत के रिश्ते इन दिनों काफ़ी उतार-चढ़ाव से गुज़र रहे हैं. पाकिस्तान, चीन और नेपाल के बाद अब एक बुरी ख़बर श्रीलंका से आई है. मीडिया रिपोर्ट्स के मुताबिक़ श्रीलंका में बंदरगाहों के निजीकरण के विरोध में एक मुहिम चल रही है. ट्रेड यूनियन, सिविल सोसाइटी और विपक्षी पार्टियाँ भी इस विरोध में शामिल हैं. अब वहाँ की राजपक्षे सरकार ने भारत के साथ एक ट्रांसशिपमेंट परियोजना के करार को ठंडे बस्ते में डाल दिया है. इस ट्रांसशिपमेंट परियोजना को ईस्ट कंटेनर टर्मिनल नाम से जाना जाता है. इसे बनाने का करार राष्ट्रपति मैत्रीपाला सिरीसेना- प्रधानमंत्री रानिल विक्रमसिंघे सरकार के दौरान मई 2019 में हुआ था, जो भारत और जापान को मिल कर बनाना था. भारत की तरफ़ से अडानी पोर्ट को इस प्रोजेक्ट पर काम करना था. छोड़कर और ये भी पढ़ें आगे बढ़ें और ये भी पढ़ें मोदी सरकार की वैक्सीन डिप्लोमेसी से क्या चित होगा चीन? नेपाल में राजनीतिक संकट के बीच राष्ट्रपति से क...