रामविलास पासवान के नहीं रहने से बिहार चुनाव पर क्या होगा असर
अपूर्व कृष्ण बीबीसी संवाददाता 9 अक्टूबर 2020 अपडेटेड 10 अक्टूबर 2020 इमेज स्रोत, HINDUSTAN TIMES बिहार में रामविलास पासवान का देहांत एक ऐसे समय हुआ है जब चुनाव मुश्किल से तीन हफ़्ते दूर है. ऐसे में श्रद्धांजलियों और संवेदनाओं के साथ-साथ कुछ राजनीतिक सवाल भी मंडरा रहे हैं. जैसे बुनियादी सवाल तो यही उठ रहा है कि पासवान के निधन का क्या चुनाव पर कोई असर पड़ सकता है? और उसी की छाया तले दूसरे सवाल भी आ जाते हैं, जैसे नीतीश कुमार का क्या होगा, दलित मतों का क्या होगा? और एक बड़ा सवाल ये भी कि चिराग़ पासवान अपने पिता की विरासत को सँभाल पाएँगे? विज्ञापन पर इन सारे सवालों की पड़ताल के लिए ये जानना ज़रूरी है कि बिहार की राजनीति में रामविलास पासवान का क़द कितना बड़ा था, उनकी पकड़ कितनी मज़बूत थी. रामविलास पासवान की राजनीति का आधार रामविलास पासवान का राजनीति में पदार्पण जाति की बुनियाद पर हुआ भी, और नहीं भी. जाति के आधार पर इसलिए क्योंकि 1969 में अपनी ज़िंदगी का पहला चुनाव उन्होंने जिस सीट से लड़ा और जीता था, वो अनुसूचित जाति के लिए एक सुरक्षित सीट थी. वो पहली बार बिहार की अलौली विधानसभा सीट से एम