महात्मा गांधी की हत्या की छह कोशिशों की कहानी
मधुकर उपाध्याय बीबीसी हिंदी के लिए 30 जनवरी 2020 अपडेटेड 3 घंटे पहले इमेज स्रोत, UNIVERSAL HISTORY ARCHIVE/GETTY IMAGES महात्मा गांधी की ज़िंदगी एक खुली किताब की तरह थी. बहुत सारी चीज़ें उसमें होती रहती थीं और बहुत सारी चीज़ें लोगों की नज़र में रहती थीं. इसलिए उनसे कोई काम छिपाकर करना या खुद गांधी जी का कोई काम छिपकर करना, बिना किसी को इत्तिला किए करना, ये मुमकिन था ही नहीं. गांधी जी की जो नीति थी, उसके हिसाब से ये बिल्कुल ठीक था. उनके ऊपर छह बार जानलेवा हमले हुए. पहला हमला 1934 में पुणे में हुआ था. जब एक समारोह में उनको जाना था, दो गाड़ियां आईं, लगभग एक जैसी दिखने वाली. एक में आयोजक थे और दूसरे में कस्तूरबा और महात्मा गांधी यात्रा करने वाले थे. विज्ञापन जो आयोजक थे, जो लेने आए थे, उनकी कार निकल गई और बीच में रेलवे फाटक पड़ता था. महात्मा गांधी की कार वहां रुक गई. छोड़कर और ये भी पढ़ें आगे बढ़ें और ये भी पढ़ें 26 जनवरी: गणतंत्र दिवस की पहली परेड कहां हुई थी सरदार पटेल: जिन्होंने राजाओं को ख़त्म किए बिना ख़त्म कर दिए रजवाड़े बिहार: अशोक पेपर मिल से लेकर सकरी शुगर मिल तक, कैसे बर्बा...