नागरिकता संशोधन विधेयक: क्या ये आइडिया ऑफ़ इंडिया के ख़िलाफ़ है-नज़रिया
मनीष तिवारी कांग्रेस के वरिष्ठ नेता इस पोस्ट को शेयर करें Facebook इस पोस्ट को शेयर करें WhatsApp इस पोस्ट को शेयर करें Messenger साझा कीजिए इमेज कॉपीरइट GETTY IMAGES भारत की जो मूलभूत परंपरा रही है वो ये है कि कोई भी शरणार्थी अगर हमारे द्वार पर आया है और वो अपने मुल्क में प्रताड़न का शिकार है, तो हमने उससे ये नहीं पूछा है कि उसकी जाति क्या है, उसका मज़हब क्या है, वो किस समुदाय का है, हमने उसको पनाह दी है. ये आज से नहीं बल्कि सदियों से भारत की मूलभूत अवधारणा का आधार रहा है. जब पारसी पांचवी और आठवीं सदी में परसिया से प्रताड़ित हो कर भागे थे (जो आजकल ईरान, इराक़ है), तो वो गुजरात पहुंचे थे. पढ़िए - बीजेपी के राष्ट्रीय परिषद के सदस्य शेषाद्रि चारी का लेख जो कहते हैं कि इससे बड़ा असत्य कुछ और नहीं हो सकता है कि नागरिकता संशोधन बिल भारत के उस मूल विचार (आइडिया ऑफ़ इंडिया) के ख़िलाफ़ है, जिसकी बुनियाद हमारे देश के स्वाधीनता संग्राम सेनानियों ने रखी थी. विज्ञापन वो लोग संजन में आकर उतरे थे और वहां के राजा राणा जाधव ने उनको पनाह दी थ...