RCEP: चीन की अगुआई वाले गुट में शामिल न होने से भारत को फ़ायदा या नुक़सान?
ज़ुबैर अहमद बीबीसी संवाददाता इमेज स्रोत, NHAC NGUYEN/GETTY IMAGES इमेज कैप्शन, 15 नवंबर 2020 को आरसीईपी समझौते पर हस्ताक्षर करते चीन के वाणिज्य मंत्री त्योहार के इस मौसम में ये पता लगाना दिलचस्प होगा कि भारत ने चीन से कितना माल आयात किया. अमेज़न और फ़्लिपकार्ट पर व्हाइट गुड्स की ऑनलाइन शॉपिंग करने वालों को अंदाज़ा हो गया होगा कि ऑर्डर किए गए अधिकतर सामान पर 'मेड इन चाइना' की मुहर लगी हुई थी. चीन के आंकड़ों के अनुसार, इस साल अक्तूबर में भारत ने चीन से पिछले साल अक्तूबर की तुलना में अधिक सामान आयात किया. यानी मई में घोषित भारत सरकार की आत्मनिर्भरता की नीति अब तक असरदार साबित नहीं हो सकी है. इससे ये सवाल भी पैदा होता है कि जिस कारण से मोदी सरकार ने पिछले साल नवंबर में 'द रीजनल कॉम्प्रीहेंसिव इकोनॉमिक पार्टनरशिप' यानी आरसीईपी वार्ता से बाहर होने का एलान किया था - वो फ़ैसला सही था या नहीं. विज्ञापन ये फ़ैसला भारत को आत्मनिर्भर करने और घरेलू बाज़ार को बाहर की दुनिया से सुरक्षित और ज़्यादा मज़बूत बनाने की वजह से लिया गया था. छोड़कर और ये भी पढ़ें आगे बढ़ें और ये भी पढ़ें RCE...