डी जी पी अभियानंद जी के पद से हटाये जाने से लोग खुश हैं ,सरकार के क़दम को देर से उठाया गया सही क़दम ठहरा रहे ।
Ranbir Nandan तबादला करना सरकार का रूटिन वर्क है। समाचार पत्रों से ज्ञात होता है कि पुलिस विभाग में इधर कुछ तबादलें हुए, तो अभ्यानंद जी रूष्ट थे, क्याेकिं उनसें पूछा नहीं गया । मेरा मानना हैं कि इधर के दिनों में नौकरशाहों में एक बिमारी आ गयी, कि वे अपने को विधायिका से सर्वोच्च समझने लगे हैं, और इसी कारण असंतोष होता है। मनुष्य की स्वाभाविक प्रवृति अच्छे कार्य करने की होती है। श्री अभ्यानंद जी ने समाज में अच्छे कार्य किये, तो उन्होंने मनुष्य जीवन को सार्थक किया, परंतु यदि अच्छे कार्योे से वे अभिमान में आ गए तो यह अच्छा नहीं हुआ । कहनें में कोई अतिश्योक्ति नहीं कि यदि सामाजिक स्तर के कार्यकर्ता, एम.पी, एम.एल.ए, एम.एल.सी भी अभ्यानंद के समय जायज विषयों पर भी कुछ कहते थे तो उनकी बातों को सुनना क्या, उनकी प्रतिष्ठा का भी सम्मान थानें स्तर पर, अनुमंडल स्तर पर, जिला स्तर पर नहीं होता था। एक समाज के प्रत्येक व्यक्ति का कर्तव्य होता है कि वह समाज को बनाने में मेहनत करें, परंतु यदि अच्छे कार्यो को मूर्त रूप देते समय उसे यह अभिमान हो जाए कि मै हीं सर्वश्रेष्ठ हूं, तब ...