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गिरती जीडीपी से आम आदमी को क्या डरना चाहिए?

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इस पोस्ट को शेयर करें Facebook   इस पोस्ट को शेयर करें WhatsApp   इस पोस्ट को शेयर करें Messenger   साझा कीजिए इमेज कॉपीरइट GETTY IMAGES लगातार बुरे दौर से गुज़र रही भारत की अर्थव्यवस्था को लेकर चौंकाने वाले आंकड़े सामने आए हैं. शुक्रवार को सामने आए आधिकारिक आंकड़ों के मुताबिक़, भारत की अर्थव्यवस्था में जुलाई से सितंबर के बीच देश का सकल घरेलू उत्पाद यानी जीडीपी महज़ 4.5 फ़ीसदी ही रह गई. यह आंकड़ा बीते 6 सालों में सबसे निचले स्तर पर है. पिछली तिमाही की भारत की जीडीपी 5 फ़ीसदी रही थी. जीडीपी के नए आंकड़े सामने आते ही विपक्षी दल कांग्रेस ने सरकार को घेरना शुरू कर दिया. कांग्रेस प्रवक्ता रणदीप सुरजेवाला ने कहा, ''भारत की जीडीपी छह साल में सबसे निचले स्तर पर आ गई है लेकिन बीजेपी जश्न क्यों मना रही है? क्योंकि उन्हें लगता है कि उनकी जीडीपी (गोडसे डिवीसिव पॉलिटिक्स) से विकास दर दहाई के आंकड़े में पहुंच जाएगी.'' null आपको ये भी रोचक लगेगा क्या फ़िल्मों से पता चल सकता है अर्थव्यवस्था का हाल? 'आम आदमी को पुलवामा परोसने से अर्थव्यवस्था नहीं...

8 जनवरी को क्यों होने वाली है देशव्यापी हड़ताल

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ज़ुबैर अहमद बीबीसी संवाददाता, दिल्ली  इस पोस्ट को शेयर करें Facebook   इस पोस्ट को शेयर करें WhatsApp   इस पोस्ट को शेयर करें Messenger   साझा कीजिए इमेज कॉपीरइट GETTY IMAGES देश के लगभग सभी केंद्रीय और स्वतंत्र मज़दूर संघों ने नए इंडस्ट्रियल रिलेशंस कोड बिल के ख़िलाफ़ 8 जनवरी को हड़ताल करने का फ़ैसला किया है. मज़दूर संघ दावा करते हैं कि हड़ताल में 25 करोड़ कर्मचारी शामिल होंगे.   अखिल भारतीय बैंक कर्मचारी संघ के सी.एच वेंकटचलम और भारतीय ट्रेड यूनियनों के फ़ेडरेशन सीटू के महासचिव तपन सेन ने बीबीसी को बताया कि ये बिल उद्योगपतियों और मालिकों के पक्ष में और मज़दूरों के ख़िलाफ़ है.  सी.एच वेंकटचलम ने कहा, "यह एक मज़दूर-विरोधी, ट्रेड यूनियन-विरोधी और लोकतंत्र-विरोधी क़दम है." तपन सेन कहते हैं, "यह सरकार श्रमिकों को बंधुआ मज़दूर बनाना चाहती है, यह उद्योगपतियों की सरकार है और यह खुलकर ईज़ ऑफ़ डूइंग बिज़नेस के नाम पर ऐसा कर रही है."  null आपको ये भी रोचक लगेगा ...